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डॉक्टरों का हुआ उत्पीड़न

गर्भाशय कांड . आइएमए को जांच पर है आपत्ति, कहा प्राथमिकी दर्ज होने के बाद गर्भाशय कांड की जांच करनेवाली टीम पर ही आइएमए ने गंभीर सवाल खड़े किये हैं. जांच के नाज पर डॉक्टरों को प्रताड़ित करने का आरोप संघ ने लगाया है. तत्कालीन अधिकारी को खुश नहीं करने पर गलत रिपोर्ट देने की […]

गर्भाशय कांड . आइएमए को जांच पर है आपत्ति, कहा

प्राथमिकी दर्ज होने के बाद गर्भाशय कांड की जांच करनेवाली टीम पर ही आइएमए ने गंभीर सवाल खड़े किये हैं. जांच के नाज पर डॉक्टरों को प्रताड़ित करने का आरोप संघ ने लगाया है. तत्कालीन अधिकारी को खुश नहीं करने पर गलत रिपोर्ट देने की बात कही गयी है.
गोपालगंज : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने गर्भाशय कांड में शामिल डॉक्टर, नर्सिंग होम और अस्पताल को बदनाम करने उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए आपत्ति जतायी है. प्राथमिकी दर्ज होने से पहले आइएमए ने डीएम और सिविल सर्जन को ज्ञापन सौंप कर प्राथमिकी दर्ज नहीं कराने की अपील की थी. प्रशासन ने आइएमए की अपील के बाद प्राथमिकी दर्ज करायी. आइएमए ने 27 फरवरी, 2015 को सिविल सर्जन को तथा 23 मार्च, 2015 को डीएम को ज्ञापन सौंपा था. आइएमए के सचिव डॉ वैद्यनाथ सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में बीमा कंपनी के इशारे पर एक विधायक ने कोख उजाड़ने जैसा शीर्षक देकर मामले को उठाया.
इस पर तत्कालीन डीडीसी सलाउद्दीन खां नोडल पदाधिकारी बनाये गये. उनके द्वारा जांच में अपने प्रभाव और पद का दुरुपयोग करते हुए रिपोर्ट दी गयी. इस जांच में एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं थे. उन्होंने कहा कि छोटे परिवार का लक्ष्य पूरा करने के बाद कुछ महिलाएं गर्भाशय का ऑपरेशन करा देनी चाहती हैं. क्योंकि इसका कोई दुष्प्रभाव शरीर पर नहीं होता है. जिन अस्पतालों पर एफआइआर दर्ज करायी गयी है, वहां अच्छे कार्य होते हैं.
अधिकतर स्नातकोत्तर डिग्रीधारी सर्जन हैं, जो अपने दायित्वों को अच्छी तरह समझते हैं. डॉ वीपी सिंह ने कहा कि गर्भाशय कांड को लेकर भ्रम पैदा किया जा रहा है. मैं इसके लिए डिवेट करने को तैयार हूं. नगर थाने में गर्भाशय कांड में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अब इस मामले की तहकीकात पुलिस के अधिकारी करेंगे. पुलिस को पूरे प्रकरण का अध्ययन करना होगा. गर्भाशय कांड की जांच जिस टीम के द्वारा की गयी, उसमें बीमा कंपनी और अस्पतालों से अपने अनुरूप फाइल की जांच किये जाने की बात सामने आयी है. जैसे 65 मरीजों का जिस अस्पताल में इलाज हुआ, उनमें 36 मरीजों की फाइल की जांच की गयी और 28 मरीजों की सर्जरी कर गर्भाशय निकाल दिया गया. पुलिस कप्तान रवि रंजन कुमार ने बताया कि इस कांड का अध्ययन मैंने नहीं किया है. इसकी पुिलस िफर से बारीकी से जांच करेगी.
पुिलस िफर से करेगी मामले की जांच
अधिकारियों पर पद के दुरुपयोग का लगाया आरोप
जांच टीम में शामिल नहीं था कोई विशेषज्ञ डॉक्टर
आइएमए ने डीएम-सीएस से पहल करने की अपील की थी
कौन थे जांच टीम के अधिकारी
गर्भाशय कांड की जांच के लिए नोडल पदाधिकारी डीडीसी रहे सलाउद्दीन खां को बनाया गया था, जबकि सिविल सर्जन तथा प्रमुख स्त्री एवं प्रसुति रोग विशेषज्ञ डॉ मिथिलेश शर्मा लंबार्ड के प्रतिनिधि को शामिल किया गया था. जांच के दौरान आशा के जरिये उनकी जांच की गयी और बयान दर्ज किया गया.

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