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समाज की मुख्य धारा से नहीं जुड़ सके भिक्षुक

समाज कल्याण विभाग की पहल पड़ी फीकी गोपालगंज : जिले के बैकुंठपुर थाना क्षेत्र में मैना नामक शख्स महीनों से दीघवा-दुबौली बाजार में फुटपाथ पर डेरा डाले अक्सर मिलता है. किसी ने खिला दिया तो धन्य है, वरना हरफनमौला जीवन काटता दुकानदारों का मनोरंजन बन कर रह गया है. मैना कोई और नहीं बल्कि एक […]

समाज कल्याण विभाग की पहल पड़ी फीकी

गोपालगंज : जिले के बैकुंठपुर थाना क्षेत्र में मैना नामक शख्स महीनों से दीघवा-दुबौली बाजार में फुटपाथ पर डेरा डाले अक्सर मिलता है. किसी ने खिला दिया तो धन्य है, वरना हरफनमौला जीवन काटता दुकानदारों का मनोरंजन बन कर रह गया है. मैना कोई और नहीं बल्कि एक भिक्षुक है जिसकी बात सुनने के लिए लोग उसे चिढ़ाने व मजाक उड़ाने से बाज नहीं आते. एक लंबे समय से रेलवे स्टेशन के करीब यह बाजार व पांच जिलों का संगम स्थल होने के कारण यहां भिक्षुको की काफी संख्या देखने को मिल जाती है. कोई रेलवे के मुसाफिरखाना,
तो कोई बाजार के फुटपाथ पर फटे-चिथड़े कपड़ो में लिपटे जीवन बसर करते मिलते हैं. क्या ये भिक्षुक कभी समाज की मुख्य धारा से जुड पायेंगे? यह एक प्रश्न बना है. समाज की मुख्य धारा से अब तक नहीं जुड़ सके हैं भिक्षुक एवं इनके प्रति समाज कल्याण विभाग की पहल फीकी पड़ गयी है. आखिर ये कब जुड़ेंगे मुख्य धारा से एवं कब होगा इनका पुनर्वास. यह एक बड़ी समस्या बनी है.
समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना के तहत कई जिलों में सक्षम के तहत जिम्मेवारी दी गयी थी, जिसके माध्यम से इस वर्ष तक भिक्षुकों को पुनर्वासित करने के लिए उन्हें विभिन्न विधाओं में योग्यता के अनुसार ट्रेनिंग देकर कारगर बनाने का सरकारी सोच था.
इसके लिए भिक्षुकों को पुनर्वास केंद्र से जोड़ कर शारीरिक रूप से असमर्थ व अनाथों के लिए रहने, खाने व सामान्य आदमी की तरह जीवन जीने की सुविधा मुहैया कराने की बात सामने आयी थी, मगर इसकी तैयारी व मुख्य धारा से जोड़ने की बात अधूरी रह गयी है.
इसके पीछे समाज कल्याण विभाग की सक्षम पहल अब तक देखने को नहीं मिल सकी है.

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