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चाय बेच बेटे को बनाया इंजीनियर

सबेया (गोपालगंज) : कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों ‘. सचमुच धैर्यवान, साहसी और ऊंचा सोच रखनेवाले व्यक्ति के सामने प्रतिकूल परिस्थियां सहज ही दम तोड़ देती हैं. बाधाओं को रौंदते हुए वह मंजिल को हासिल कर लेता है. हां, थोड़ी-सी कठिनाई जरूर होती […]

सबेया (गोपालगंज) : कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों ‘. सचमुच धैर्यवान, साहसी और ऊंचा सोच रखनेवाले व्यक्ति के सामने प्रतिकूल परिस्थियां सहज ही दम तोड़ देती हैं. बाधाओं को रौंदते हुए वह मंजिल को हासिल कर लेता है. हां, थोड़ी-सी कठिनाई जरूर होती है.

लेकिन, मंजिल को हासिल करना असंभव नहीं होता. कुछ ऐसी ही कहानी है एक साहसी पिता की, जिसने किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानी. उन्होंने सपने को साकार कर दुनिया के सामने मिसाल कायम कर दी. गोपालगंज जिले में एक छोटा-सा प्रखंड है पंचदेवरी. पंचेदवरी के पश्चिमी छोर पर यूपी की सीमा से सटा एक छोटा-सा कस्बा है सबेया.

उसी गांव के हैं रामदेव गुप्ता. वह स्वयं अशिक्षित हैं, लेकिन जीवन में शिक्षा का महत्व क्या है, कोई इनसे सीखे. कहने को एक मामूली किसान. आजीविका के लिए एक छोटी-सी चाय की दुकान, फिर भी सोच आसमान छूने का. उन्होंने चाय बेच कर अपने बेटे विकेश गुप्ता को सॉफ्टवेयर इंजीनियर बना डाला.

विषम परिस्थितियों में भी नहीं बदले इरादे : रामदेव का जीवन शुरू से ही काफी संघर्षशील रहा है. एक तरफ पूरे परिवार की जिम्मेवारी तो दूसरी ओर बेटे काे उच्च शिक्षा देने की ललक. फिर भी रामदेव ने जिंदगी में कभी हार नहीं मानी. कदम-कदम पर झंझावातों को झेलता रहा, लेकिन इरादे नहीं बदले. अंतत: परिणाम सबके सामने है.
अशिक्षित होने बावजूद रामदेव ने जहां एक बेटे को इंजीनियर बनाया, तो दूसरे बेटे ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से बी.कॉम की पढ़ाई पूरी कर ली है. पिता उसे अब एम.कॉम की तैयारी में हैं.

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