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यहां लाशों के साथ दफन हो जाता है मौत का राज

यहां लाशों के साथ दफन हो जाता है मौत का राज पुलिस को अन्य बड़ी घटनाओं से नहीं मिल रही फुरसत महज कोरम पूरा कर लावारिस शव घोषित कर देती है पुलिस फोटो न. जर्जर पोस्टमार्टम हाउस में किया जाता है पोस्टमार्टम संवाददाता, गोपालगंजलावारिस लाश मिलने के बाद मौत का राज भी दफन हो जाता […]

यहां लाशों के साथ दफन हो जाता है मौत का राज पुलिस को अन्य बड़ी घटनाओं से नहीं मिल रही फुरसत महज कोरम पूरा कर लावारिस शव घोषित कर देती है पुलिस फोटो न. जर्जर पोस्टमार्टम हाउस में किया जाता है पोस्टमार्टम संवाददाता, गोपालगंजलावारिस लाश मिलने के बाद मौत का राज भी दफन हो जाता है. सड़क और रेलवे लाइन के किनारे मिले लावारिस शव के मामले में पुलिस की कार्रवाई महज जांच तक ही रह कर सिमट जाती है. कहने को तो एफएसएल जांच करायी जाती है, पर रिपोर्ट आने में दो-तीन साल लग जाते जाते हैं. ऐसे में मामला मर्डर का ही क्यों न हो, वह भी लावारिस लाश के साथ दफन हो जाता है. वर्ष 2014 में 13 तथा इस वर्ष जनवरी से अबतक 16 शव बरामद हो चुके हैं. उचित जांच नहीं होने के कारण हत्याओं का राज आज तक नहीं खुल सका है. कहने को तो लावारिस शवों का कुछ हिस्सा बाल, दांत या हड्डी को पुलिस डीएनए टेस्ट के लिए रखती है. लेकिन, इस सैंपल के मालखाने में पड़े-पड़े सालों निकल जाते हैं, लेकिन जांच नहीं करायी जाती. लावारिस शवों का पोस्टमार्टम तो हाता है, लेकिन रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं होती है. सार्वजनिक स्थान तो दूर थाने के नोटिस बोर्ड से भी लावारिस मृतक की तसवीर माह बीतने के बाद हटा दी जाती है.एफएसएल रिपोर्ट का वर्षों तक इंतजार पुलिस को मिलनेवाली कई लाशें मर्डर केस होती है. गला दबाने, हथियार के निशान बॉडी पर होते हैं. एफएसएल जांच पुलिस कराती तो है, लेकिन प्रक्रिया की इतनी ही रिपोर्ट आने में दो-तीन साल लग जाते हैं. हत्यारे क्या मृतक का नाम भी पता नहीं लगा पाती पुलिस केस – 1 16 नवंबर को हुई मौत, नाम तक पता नहीं कर सकी पुलिस शहर के आंबेडकर चौक पर गत 16 नवंबर को लावारिस युवक का शव मिला. आसपास के लोग सदर अस्पताल में लेकर गये. इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर मौत हो गयी. नगर थाना पुलिस ने एक्सीडेंट मान कर प्राथमिकी दर्ज किया. युवक की मौत हादसा था या हत्या, इसकी जांच तो दूर. नाम तक पुलिस पता नहीं कर सकी. केस-2चार दिन पहले मर्डर, परिजन को भी ढूंढ नहीं पायी पुलिस गोपालपुर थाने के नरहवां शुक्ल गांव में गंडक नदी के साइफन पर गत चार दिसंबर को युवती की लाश चादर में बंधी मिली. शरीर पर धारदार हथियार के जख्म के निशान थे. हत्या कर शव को फंेका गया था. पुलिस इस मामले में शव को बरामद कर अंत्येष्टी तक करा दी. लेकिन परिजन को अबतक ढूंढ नहीं पायी. पुलिस की यह है प्रक्रिया 1. लावारिस शव मिलने के बाद एसपी को सूचना दी जाती है. रिपोर्ट तैयार कर शिनाख्त करने का प्रयास होता है.2. जिले के थानों और आसपास के राज्यों के कंट्रोल रूम में मृतकों की हुलिया की जानकारी दी जाती है.3. 3-4 दिन दिन तक मृतक के परिजनों का इंतजार किया जाता है. इसके बाद मृतक का पुलिस अंतिम संस्कार करा देती है.4. मृतक के कपड़े मालखाने में जमा करा दिये जाते हैं. सालों पड़े रहने के बाद खुद ही नष्ट हो जाते हैं, जांच भी बंद हो जाती है. क्या कहते हैं अधिकारी अज्ञात शव की बरामदगी के बाद पुलिस हर स्तर पर पड़ताल करती है. पड़ताल में जो बातें सामने आती हैं, उसी के आधार पर जांच की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है. पुलिस की कोशिश रहती है कि हर मामले का खुलासा हो जाये. कुछ ऐसे मामले हैं जो बाहर से हत्या कर यहां शव को फेंक दिया जाता है.नरेश चंद्र मिश्र, डीएसपी, मुख्यालय, गोपालगंज

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