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चुनाव में खो गया थावे को पर्यटन स्थल बनाने का वादा

चुनाव में खो गया थावे को पर्यटन स्थल बनाने का वादा तीन मुख्यमंत्री और एक पर्यटन मंत्री ने भी नहीं दिया ध्यानथावे में छिपी है पर्यटन के क्षेत्र के आपार संभावनागोपालगंज विस क्षेत्रचुनावी मुद्दाफोटो-3संवाददाता, गोपालगंजविधानसभा चुनाव का तापमान सातवें आसमान पर है. जातीय गणित के आधार पर वोटरों को गोलबंद करने का दावा किया जा […]

चुनाव में खो गया थावे को पर्यटन स्थल बनाने का वादा तीन मुख्यमंत्री और एक पर्यटन मंत्री ने भी नहीं दिया ध्यानथावे में छिपी है पर्यटन के क्षेत्र के आपार संभावनागोपालगंज विस क्षेत्रचुनावी मुद्दाफोटो-3संवाददाता, गोपालगंजविधानसभा चुनाव का तापमान सातवें आसमान पर है. जातीय गणित के आधार पर वोटरों को गोलबंद करने का दावा किया जा रहा है. जातीय जहर के बीच बिहार के प्रमुख शक्तिपीठ थावे को पर्यटन स्थल बनाने का वादा खो गया है. किसी भी दल के प्रत्याशी के चुनावी एजेंडे में थावे को पर्यटन स्थल बनाने का जिक्र नहीं है, जिससे थावे ही नहीं बल्कि यहां आनेवाले लाखों भक्तों की आस्था पर गहरी चोट पहुंची है. कहने के लिए तो बिहार को तीन मुख्यमंत्री इस जिले ने दिये हैं. कांग्रेस के जमाने में अब्दुल गफूर, जेपी आंदोलन के बाद डेढ़ दशक तक बिहार की सत्ता पर काबिज राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद तथा राबड़ी देवी मुख्यमंत्री की कुरसी संभाल चुके हैं. मुख्यमंत्री रहते हर नवरात्र में लालू-राबड़ी यहां विशेष अनुष्ठान कराने आते रहे हैं. आज भी थावे में लालू प्रसाद के दोनों पुत्रों तेज प्रताप व तेजस्वी यादव की जीत के लिए अनुष्ठान चल रहा है. भाजपा, जदयू के शासनकाल में पर्यटन मंत्री रामप्रवेश राय भी इसी जिले के रहे. उन्हें पर्यटन विभाग में 2.5 वर्ष काम करने का मौका मिला. फिर भी पर्यटन के क्षेत्र में थावे का समुचित विकास नहीं हो सका. थावे में सीएम के रूप में नीतीश कुमार भी कई बार आ चुके हैं. पर्यटन के क्षेत्र में विकसित करने का वादा भी किया गया. वादा धरातल पर नहीं उतरने से यह शक्तिपीठ आज भी उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. यहां बिहार ही नहीं यूपी और नेपाल, मध्य प्रदेश, दिल्ली जैसे राज्यों से लाखों की संख्या में भक्तों की कतार लगी रहती है. थावे के विकास के लिए जंगल से लेकर होमगार्ड के मैदान तक को विकसित करना होगा. इतना ही नहीं बड़े शहरों से जोड़ने के लिए एक्सप्रेस ट्रेनों की जरूरत होगी. थावे के लोगों को इस बात का मलाल है कि आज तक मां सिंहासनी का दरबार पर्यटन स्थल का रूप नहीं ले सका.क्या कहते हैं आम आदमीथावे को वैष्णो देवी, विंध्याचल, मैहर जैसे विकसित करने की जरूरत है. बिहार सरकार ने आज तक ध्यान नहीं दिया. स्थानीय विधायक के स्तर पर भी सरकार से पहल नहीं की गयी. नतीजा है कि आज थावे अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. फोटो-3 ए, मुन्ना सिंह, पहाड़पुरक्या कहते हैं विधायकथावे को पर्यटन के क्षेत्र में विकसित करने के लिए थावे महोत्सव जैसे कार्यक्रम की शुरुआत करायी गयी. थावे में हर स्तर पर विकास के प्रति मैं तत्पर रहा हूं. यहां भव्य विकास की तैयारी पहले से चल रही है. फोटो-3 बी , सुबास सिंह, सदर विधायक, गोपालगंज

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