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10 अक्तूबर को सरकार बनने के साथ ही दाल की कीमत कम होगी: रामविलास

10 अक्तूबर को सरकार बनने के साथ ही दाल की कीमत कम होगी: रामविलासदाल की महंगाई के लिए राज्य सरकार पूरी तरह जिम्मेबार: राधा मोहन दाल की कीमत पर राज्य सरकार कर रही है राजनीति दाल खरीद पर सब्सिडी का लाभ नहीं लेने और जमाखारों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करने का लगाया अारोपभारत सरकार ने […]

10 अक्तूबर को सरकार बनने के साथ ही दाल की कीमत कम होगी: रामविलासदाल की महंगाई के लिए राज्य सरकार पूरी तरह जिम्मेबार: राधा मोहन दाल की कीमत पर राज्य सरकार कर रही है राजनीति दाल खरीद पर सब्सिडी का लाभ नहीं लेने और जमाखारों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करने का लगाया अारोपभारत सरकार ने इस साल सभी राज्यों की दाल की आवश्यकता काे लेकर पत्र लिखा था, लेकिन किसी राज्यों से केंद्र को कोई अनुरोध पत्र नहीं मिला. इसके बावजूद मूल्य स्थिरिकरण निधि प्रबंणन समिति ने पांच हजार मीटरिक टन उड़द और पांच हजार मीटरिक टन तूर का आयात किया. संवाददाता, पटनादाल की कीमत में बढ़ोतरी को लेकर महागंठबंधन के नेताओं के हमले का जवाब देने के लिए केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान और कृषि मंत्री राधामोहन सिंह मंगलवार को सामने आये. भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेवार ठहराया. राज्य सरकार पर दाल की कीमत पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि जमाखारों पर कार्रवाई करने के बजाय महंगाई का ठिकरा केंद्र पर फोड़ रहे हैं, जबकि केंद्र द्वारा बार-बार अगाह करने के बावजूद राज्य सरकार केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं उठाया. केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि 10 नवंबर को राज्य में एनडीए की सरकार बनेगी और दाल की कीमत कम होगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अब भी चाहे, तो दाल की कीमत 100 रुपये किलो से कम हो सकती है़ दिल्ली सरकार पिछले तीन-चार दिनों से दाल की खरीद कर दिल्ली के लोगों को सस्ती दर पर उपलब्ध करा रही है. बिहार सरकार भी ऐसा कर सकती थी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार दाल की खरीद पर सब्सिडी दे रही है, तो राज्य सरकार क्यों नहीं खरीद रही है? उन्होंने कहा कि इस साल दाल का उत्पादन 173.8 लाख टन हुआ, जबकि खपत 225 लाख टन की है. राज्य में दाल की कम उपज और केंद्रीय मदद के लिए राज्य सरकार को 22 मई, 15 जुलाई और 20 अगस्त को पत्र देने की जानकारी देते हुए पासवान ने कहा कि इस साल सात जुलाई को खाद्य आपूर्ति मंत्रियों के सम्मेलन में खाद्यान्न के स्टॉक तय करने को कहा था, लेकिन राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. जब राज्य सरकार को मालूम था कि दाल की कमी है, तो उसने इसकी खरीद क्यों नहीं की थी? दाल का स्टॉक बनाये रखने के लिए अगल-बगल के राज्यों से खरीद करनी चाहिए. क्या यह काम भी भारत सरकार ही करेगी? क्या राज्य सरकार सिर्फ भाषण देने के लिए है? उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पांच अगस्त को राज्य सरकार को दाल के आयात का निर्देश दिया गया था. तमिलनाडु ने इसका लाभ लिया, पर बिहार सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. वहीं, केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार दाल की कीमत का सवाल उठा रहे हैं, पर इसकी कीमत कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाये. उन्होंने कहा कि हर प्रकार की केंद्रीय सहायता मिलने के बावजूद बिहार में तीन साल से दाल का उत्पादन घट रहा है. दाल को लेकर राज्य सरकार को छह पत्र लिख कर अगाह किया, लेकिन एक भी पत्र पढ़ने की फुरसत नीतीश कुमार को नहीं मिली. उन्होंने कहा कि मई में मैंने खुद राज्य सरकार को पत्र लिख कर खाद्य सामग्री की कमी के बारे में पूछा था, ताकि किसी खाद्यान्न की कमी पर राज्य को मूल्य स्थिरीकरण मद का लाभ दिया जा सके. इस योजना का लाभ आंध्रप्रदेश और तेलंगना ने उठाया, लेकिन बिहार नहीं लिया. जब मामले ने तूल पकड़ा है, तो मैंने सोमवार को नेफेड को पत्र लिखा. दाल की महंगाई के लिए नीतीश कुमार को पूरी तरह जिम्मेवार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि वे दाल की कीमत पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. उन्होंने कहा कहा कि केंद्र सरकार ने मूल्याें को स्थिर रखने के लिए पांच साै करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. राज्य सरकार को भी इसके लिए कारपस फंड का प्रावधान करना पड़ता है. केंद्र इस मद में 50 प्रतिशत सब्सिडी देती है. इस मद का लाभ आंध्रप्रदेश को 50 करोड़, तेलंगना को 9.15 करोड़, दिल्ली को 7.5 करोड़ और पश्चिम बंगाल को पांच करोड़ का लाभ मिला.प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधान पार्षद संजय मयूख, प्रवक्ता अजफर शम्सी, डाॅ योगेंद्र पासवान, मीडिया प्रभारी राकेश कुमार सिंह, अशोक भट्ट और राजीव रंजन मौजूद थे. बिहार में दाल की खेती और उत्पादन में आयी कमी2012-13 में 5.16 लाख हैक्टेयर में खती- उत्पादन- 5.43 लाख टन2013-14 में 5.0 लाख हैक्टेयर में खेती- उत्पादन- 5.22 लाख टन2014- 15 में 5.6 लाख हैक्टेयर में खेती- उत्पादन 4.20 लाख टन

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