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प्राथमिक स्कूलों में भवन का अभाव
गोपालगंज : यहां तो विद्यालय भवन ही नहीं है. ऐसे में मासूम बच्चों के भविष्य संवारने का सपना कैसे पूरा होगा. सरकार के द्वारा वर्ष 2006 में शिक्षकों की घटती और बच्चों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए न सिर्फ विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती की गयी, बल्कि आवश्यकता के अनुरूप नवसृजित एवं प्राथमिक […]
गोपालगंज : यहां तो विद्यालय भवन ही नहीं है. ऐसे में मासूम बच्चों के भविष्य संवारने का सपना कैसे पूरा होगा. सरकार के द्वारा वर्ष 2006 में शिक्षकों की घटती और बच्चों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए न सिर्फ विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती की गयी, बल्कि आवश्यकता के अनुरूप नवसृजित एवं प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना कर इनके भविष्य संवारने की पहल की गयी.
लेकिन, आज भी जिले में कई ऐसे विद्यालय हैं, जहां पर भवन निर्माण की बातें कौन कहे, बैठने तक के लिए जगह नहीं है. ऐसे में सरकार के उद्देश्यों पर पानी फिरता देख जिला प्रशासन के अधिकारी परेशान हैं.
प्रभारी डीएम ने सभी अंचल पदाधिकारियों एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों के साथ बैठक कर इस स्थिति पर घंटों मंथन किया. अंचल पदाधिकारियों एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों से भूमिहीन विद्यालयों के लिए जमीन की तलाश करने के लिए सख्त हिदायत दी गयी. साथ-ही-साथ विद्यालय भवन का निर्माण भी कराया जा सके. विद्यालय के अधूरे भवन निर्माण को लेकर भी उन्होंने निर्देश दिया है कि लंबित पड़े भवनों का निर्माण कार्य शीघ्र पूरा कराया जाये.
क्या कहते हैं डीएम
भूमिहीन विद्यालयों के लिए भूमि तलाशने की जिम्मेवारी अंचल पदाधिकारियों को सौंपी गयी है, ताकि भूमिहीन विद्यालयों में भी भवन निर्माण कराया जा सके. इस काम में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को भी लगाया गया है, ताकि जिले का कोई भी विद्यालय भवनहीन एवं भूमिहीन नहीं रह जाये.
जय नारायण झा
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