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सफाई व्यवस्था है ध्वस्त, कैसे आयेगी स्वच्छता
गरमी में कचरे से निकल रही खतरनाक गैस गोपालगंज : जरा अपने शहर पर नजर डालें. यहां चौराहे, सड़कों-गलियों में कचरों के बीच सूअर अटखेलियां करते नजर आयेंगे. नाक पर रूमाल रख कर शहरवासी चलने को विवश हैं. आधुनिकता के दौर में भी यह शहर कचरे के ढेर पर खड़ा है. बीमारी और दरुगध का […]
गरमी में कचरे से निकल रही खतरनाक गैस
गोपालगंज : जरा अपने शहर पर नजर डालें. यहां चौराहे, सड़कों-गलियों में कचरों के बीच सूअर अटखेलियां करते नजर आयेंगे. नाक पर रूमाल रख कर शहरवासी चलने को विवश हैं. आधुनिकता के दौर में भी यह शहर कचरे के ढेर पर खड़ा है.
बीमारी और दरुगध का यहां पुख्ता इंतजाम है. वैसे तो प्रतिवर्ष सफाई के नाम पर नगर पर्षद लाखों रुपये खर्च दिखाती है, लेकिन इसके दावे और धरातल की सच्चई में लंबा फासला है. शहर में ऐसी कई जगह हैं, जो कचरा प्वाइंट बनी हैं.
अभी सूर्य की प्रचंडता शबाब पर है. शहर में जगह-जगह जमा कचरे तेजी से दरुगध और कार्बन मोनो ऑक्साइड का निर्माण कर जनजीवन को बीमारी के मुंह में ढकेल रही है. कई ऐसे इलाके हैं, जहां नगर पर्षद की सफाई गाड़ी के पहुंचने में महीनों लग जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसी ध्वस्त सफाई व्यवस्था से क्या शहर में स्वच्छता आयेगी. इसका जवाब नगर पर्षद के पास भी नहीं है और यह हालात दो वर्षो से लगातार जारी है.
समाप्त हो गया स्वच्छ भारत मिशन : ठीक सात माह पहले शहर के अधिकारियों में झाड़ू उठाने की होड़ मची थी. प्रत्येक कार्यालय, विद्यालय में प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन को साकार करने की होड़ मची थी. तब लगा था शहर चमक उठेगा, लेकिन सभी विभागों की घोषणा फोटो खिंचवाने और अखबार में छपने के साथ ही समाप्त हो गयी और शहर अपनी बदसूरती पर आंसू बहा रहा है.
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