29.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कुदरत से जख्म मिले अफसरों से धोखा

गोपालगंज : पहले कुदरत ने जख्म दिये, फिर उन पर अफसरों ने नमक छिड़का. तबाह किसानों को योजनाओं के सब्जबाग दिखाये गये. वित्तीय वर्ष 2014-15 किसानों के लिए बड़ा बेरहम साबित हुआ. खरीफ की फसल को सूखा निगल गया, फिर रबी की फसल बारिश में तबाह हो गयी. अफसरों ने भी कुछ नहीं किया, रवि […]

गोपालगंज : पहले कुदरत ने जख्म दिये, फिर उन पर अफसरों ने नमक छिड़का. तबाह किसानों को योजनाओं के सब्जबाग दिखाये गये. वित्तीय वर्ष 2014-15 किसानों के लिए बड़ा बेरहम साबित हुआ.
खरीफ की फसल को सूखा निगल गया, फिर रबी की फसल बारिश में तबाह हो गयी. अफसरों ने भी कुछ नहीं किया, रवि की फसल बरबाद होने के बाद जब बारी राहत पैकेज की आयी, तो प्रशासन के अधिकारियों ने किसानों को कठघरे में खड़ा कर दिया.
किसानों के भाग्य के साथ प्रखंड कार्यालयों में बैठ कर राजस्व कर्मचारी, सीओ तथा बीडीओ ने खेलने का काम किया है. एक हेक्टेयर गेहूं की फसल क्षति होने पर साढ़े तेरह हजार रुपये की राहत का मुआवजा देना है. अधिकतर प्रखंडों में किसानों को चार हजार से अधिक का मुआवजा नहीं मिल रहा.
पंचायत की अनुशंसा को नहीं मानें अफसर : जिला प्रशासन ने सात मई को जिले भर के मुखियाओं की बैठक कर निर्णय लिया कि पंचायत राहत निगरानी सह अनुश्रवण समिति की बैठक कर किसानों के द्वारा दिये गये दावे को सत्यापन कर मंजूरी दे. समिति के मंजूरी के अनुरूप किसानों को उनकी फसल की क्षति का मुआवजा उनके बैंक खाता में भेजा जायेगा.
आठ मई को जिले भर में अनुश्रवण समिति की बैठक होनी थी. इस बैठक में मुखिया, हारे हुए मुखिया उम्मीदवार, बीडीसी सदस्य तथा सभी वार्ड सदस्यों की मौजूदगी में किसानों के दावे की जांच कर सत्यापन करते हुए अनुशंसा करना था. कई पंचायतों ने एक एक दावे की जांच करने के बाद अनुशंसा किया. इस अनुशंसा के बाद भी प्रखंड में बैठे अधिकारियों ने मनमानी की.
33 फीसदी क्षति पर देना है अनुदान : क्षतिपूर्ति के नियमों पर नजर डालें, तो 33 फीसदी फसल की क्षति पर भी किसानों को अनुदान की राशि देनी है. यहां इस नियम का उलटा समझ कर अधिकारी काम कर रहे हैं. अधिकारियों की मानें तो उन्हें आदेशित किया गया है कि 33 फीसदी सभी किसानों का कटौती कर देना हैं.
क्या कहता है मुखिया संघ
जिला प्रशासन को जब अपने कर्मियों से ही किसानों के फसल क्षति पर मनमानी कराना था तो मुखिया के अध्यक्षता में निगरानी समिति की बैठक कराने की क्या जरूरत था. किसानों के जले पर अधिकारी नमक छिड़क रहे हैं. इस पूरे मामले की फिर से जांच कर किसानों के साथ न्याय किया जाये.
राधा रमण मिश्र, अध्यक्ष मुखिया संघ, मांझा
क्या कहते हैं डीएम
किसानों के दावों की जांच मुखिया की अध्यक्षता में निगरानी समिति को करना था. निगरानी समिति की मंजूरी के बाद अगर गड़बड़ी की गयी है, तो इसकी जांच कर कार्रवाई की जायेगी.
कृष्ण मोहन
मांझा प्रखंड की गौसिया पंचायत, जहां निगरानी अनुश्रवण समिति ने किसानों के दावे की सत्यापन कर अनुदान के लिए अनुशंसा किया. इस पंचायत में एक हजार से चार हजार रुपये तक का अनुदान किसानों को देने की तैयारी है. जबकि इस पंचायत में सैकड़ों की संख्या में ऐसे किसान हैं, जिनका तीन हेक्टेयर सेअधिक गेहूं की फसल की क्षति हुई है. ऐसे में उन्हें चार हजार का मुआवजा जले पर नमक छिड़कने जैसा है.
कुचायकोट प्रखंड राज्य का सबसे बड़ा प्रखंड है. यहां 31 पंचायतें हैं. यहां हजारों की संख्या में ऐसे किसान हैं, जिनका दो हेक्टेयर से अधिक में लगी गेहूं की फसल बरबाद हुई. उन किसानों को चार हजार रुपये देने की तैयारी है.
इस प्रखंड के बंगरा गांव के रहनेवाले किसान ददन तिवारी ने साढ़े तीन बिगहा खेत में गेहूं बोया था. डेढ़ बोरा जब गेहूं का उपज आया, तो सदमे से उसकी मौत हो गयी. उस किसान के परिवार को अगर चार हजार रुपया का मुआवजा मिलता है, तो इसे आप क्या कहेंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें