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कट रही जेब, स्कूल से किताबें लेना अभिभावकों की मजबूरी

गोपालगंज : राजेंद्रनगर निवासी राजन का बेटा छोटू कक्षा दो में गया है. विद्यालय में उसकी किताबों का सेट ढाई हजार रुपये में मिला. उनके पड़ोसी संजय कुमार का बेटा इसी क्लास में दूसरे विद्यालय में गया है. उसकी किताबों का सेट तीन हजार रुपये का था. दोनों ने मिलान किया, तो कीमतों में अंतर […]

गोपालगंज : राजेंद्रनगर निवासी राजन का बेटा छोटू कक्षा दो में गया है. विद्यालय में उसकी किताबों का सेट ढाई हजार रुपये में मिला. उनके पड़ोसी संजय कुमार का बेटा इसी क्लास में दूसरे विद्यालय में गया है.
उसकी किताबों का सेट तीन हजार रुपये का था. दोनों ने मिलान किया, तो कीमतों में अंतर से हैरान थे. कीमतों में अंतर की यह समस्या केवल दो अभिभावकों की नहीं, बल्कि शहर के उन सभी अभिभावकों की है, जिनके लिए स्कूलों के मनमाने दामों पर बच्चों की पुस्तकें खरीदना मजबूरी है. शहर के स्कूलों में नया सत्र शुरू हो चुका है.
नये सत्र में प्रवेश लेनेवाले छात्रों के अभिभावकों के हाथों में स्कूल प्रबंधन ने कॉपी-किताबों की लंबी-चौड़ी लिस्ट थमा दी है. कॉपी-किताबों की लिस्ट में हजारों के कमीशन का खेल चल रहा है. शहर में करीब 80 स्कूल छोटे-बड़े संचालित हैं. हर स्कूल ने कॉपी-किताबों की रेट लिस्ट तय की है.
नर्सरी के बच्चों के लिए किताबों का सेट एक हजार से लेकर दो हजार रुपये तक का है, जबकि कक्षा पांच से दसवीं तक यह सेट अभिभावकों को चार हजार रुपये से लेकर सात हजार तक का पड़ रहा है. इससे अभिभावकों में आक्रोश देखा जा रहा है. वहीं, जिला प्रशासन स्कूलों पर कार्रवाई करने के बजाय मौन है.

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