कई बीमारियों में रामवाण हैं सहजन की पत्तियांगोपालगंज. अपने यहां अमूमन अप्रैल-मई में यदा-कदा सहजन की फलियों की सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. फलियों में मिलनेवाले सारे गुण (एंटी ऑक्सीडेंट, एमीनो एसिड और दर्द निवारक) इसकी पतियों (हरी या सूखी) में भी मिलते हैं. एंटी ऑक्सीडेंट के नाते उम्र बढ़ने की प्रक्रिया कम हो जाती है. एमीनो एसिड शरीर में बननेवाले हर तरह के प्रोटीन के निर्माण में मददगार है. प्रोटीन हमारे शरीर का प्रमुख घटक है. मांसपेशियों, हामार्ेन और एंजाइम के निर्माण में प्रोटीन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. लगभग यही भूमिका सहजन के बीज से बननेवाले तेल में मिलनेवाले ओलिक एसिड की भी होती है. इसमें कृमि नाशक (पेट के कीड़े) को मारने की क्षमता होती है. इस तरह इसका नियमित सेवन मनुष्यों एवं पशुओं के लिए इस लिहाज से भी लाभदायक है. आयुर्वेद के विशेषज्ञ डॉ रजनीश मिश्र के अनुसार सीमित समय के लिए होनेवाली फलियों का इस्तेमाल भी उसी के अनुसार होता है. अगर इसकी पतियों के उपयोग पर केंद्रित होकर व्यावसायिक खेती को बढ़ावा दें, तो हरी और सूखी पतियों के रूप में वर्ष भर इसकी उपलब्धता एवं उपयोग संभव है. लिहाजा असली पावर हाउस तो सहजन की पतियां ही हैं.
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कई गुणों से भरा है सहजन की पत्तियां
कई बीमारियों में रामवाण हैं सहजन की पत्तियांगोपालगंज. अपने यहां अमूमन अप्रैल-मई में यदा-कदा सहजन की फलियों की सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. फलियों में मिलनेवाले सारे गुण (एंटी ऑक्सीडेंट, एमीनो एसिड और दर्द निवारक) इसकी पतियों (हरी या सूखी) में भी मिलते हैं. एंटी ऑक्सीडेंट के नाते उम्र बढ़ने की प्रक्रिया […]
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