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पैसा खर्च करने से हाथ खींच रहा विभाग

उदासीनता : छपरा-सीवान के अस्पतालों में भी नहीं मिल रहा है एंटी रैबीज गोपालगंज : यह स्वास्थ्य विभाग का खेल है. यहां फंड में पैसा है. फिर भी जीवनरक्षक दवाओं के लिए मरीजों की जान पर खतरा बना हुआ है. आवारा कुत्ताें के शिकार मरीजों के लिए दवा नहीं खरीदा जा रही है. पैसा खर्च […]

उदासीनता : छपरा-सीवान के अस्पतालों में भी नहीं मिल रहा है एंटी रैबीज
गोपालगंज : यह स्वास्थ्य विभाग का खेल है. यहां फंड में पैसा है. फिर भी जीवनरक्षक दवाओं के लिए मरीजों की जान पर खतरा बना हुआ है. आवारा कुत्ताें के शिकार मरीजों के लिए दवा नहीं खरीदा जा रही है. पैसा खर्च करने में विभाग हाथ खींच रहा है. कारण स्पष्ट है, अधिकारी दवा खरीदने को तैयार नहीं है. सिर्फ विभाग में दवा की डिमांड-पर-डिमांड की जा रही है. 10 हजार एंटी रैबीज इंजेक्शन की डिमांड पिछले चार महीनों से की जा रही है.
विभाग दवा खरीद की प्रक्रिया लंबित होने की बात कह कर टाल रहा है. स्वास्थ्य विभाग जिला स्वास्थ्य समिति से आवश्यकता के अनुरूप दवा खरीद सकता है.
इसके लिए डीएम से अनुमति लेनी होती है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि डीएम स्तर पर लिखित अनुमति नहीं मिलने से दवा खरीद नहीं की जा रही है. सरकार इंजेक्शन 110 रुपये में खरीदती है, जबकि निजी दुकानों में 250 से 260 रुपये में मिल रहा है. कीमत अधिक होने के कारण स्वास्थ्य अधिकारी एंटी रैबीज इंजेक्शन खरीदने से बच रहे हैं.

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