गोपालगंज : जब कहीं आग लगती है, तो विभाग पानी तलाशने में जुट जाता है. यह हाल है फायर विभाग का. विभाग के पास संसाधन तो है, पर पानी के लिए दमकल को शहर के बाहर भेजनी पड़ती है. क्योंकि, शहर में कोई भी वाटर टैंक नहीं हैं. यहां इमरजेंसी सेवा के लिए भी वाटर टंकी नहीं बनाये गये है.
ऐसे में शहर में कहीं आग लगती हैं, तो फायर विभाग को गोपालगंज चीनी मिल के टैंक से पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है. यह स्थिति शहर की ही नहीं देहातों की भी है, जहां आग लगने के बाद पहुंचे फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहले तालाब व पोखरे की तलाश करने मे लग जाती है. तब तक सारा कुछ जल कर राख हो जाता हैं.
अभी कुछ दिन पूर्व सरेया नरेंद्र में आग लग गयी, तो आस पास के लोगों ने इस बात की सूचना फायर विभाग को दी. इसके बाद फायर विभाग की दमकल मौके पर पहुंची. आग पर काबू पाने में दमकल का पानी समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया.
फिर फायर विभाग आसपास पोखरा व तालाब की तलाश में जुट गया. यह तो सिर्फ एक बानगी है. सच तो यह हैं कि कुचायकोट प्रखंड के शेरपुर पोखरभिडा बतरदेह, सलोना, बरौली बाजार, बैकुंठपुर, बथना कुटी आदि गांवों में अगर आग लगी, तो फायर विभाग भी काबू नहीं पा सकता है. गांवों के भी तालाब-पोखरे अभी गरमी मे सुखे पड़े हैं.
* मात्र एक वाटर टैंक भी हुआ बेकार
शहर में मिंज स्टेडियम के पास वर्षो पूर्व वाटर टैंक बना, जहां दमकल में पानी भरने की व्यवस्था थी. लेकिन, लोलैंड व भीड़ -भाड़ इलाक ा होने के कारण यह भी बेकार हो गया. विभाग ने हजियापुर थावे रोड़ व शहर में एक-एक पानी टैंक की व्यवस्था का प्रपोजल दिया था. लेकिन, आज तक इस पर कोई सुनाई नहीं हुई. इधर आग बुझाने के लिए सिधविलया व हरखुआ चीनी मिल का वाटर टैंक व गांव के तालाब-पोखरे ही सहारा बच गये हैं.