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गोपालगंज : ओझा यादव हत्याकांड में पुलिस के हाथ खाली, गांव में दहशत
गोपालगंज : पुलिस के लिए ओझा यादव हत्याकांड चुनौती बनता जा रहा है. पुलिस के हाथ घटना के पांचवें दिन भी खाली रहे. पुलिस की टीम आरोपितों की तलाश में दियारे के इलाके को खंगालने में जुटी है. पुलिस की दबिश के बीच मांझा के माघी निमुईया गांव में दहशत का माहौल है. आरोपितों के […]
गोपालगंज : पुलिस के लिए ओझा यादव हत्याकांड चुनौती बनता जा रहा है. पुलिस के हाथ घटना के पांचवें दिन भी खाली रहे. पुलिस की टीम आरोपितों की तलाश में दियारे के इलाके को खंगालने में जुटी है. पुलिस की दबिश के बीच मांझा के माघी निमुईया गांव में दहशत का माहौल है.
आरोपितों के गांव लौटने का इंतजार पुलिस को भी है. फिलहाल आरोपित घर छोड़कर फरार बताये जा रहे हैं. पुलिस पांच दिन की मशक्कत में ले देकर मेघा यादव की गिरफ्तारी पर पीठ थपथपा रही है. पुलिस अधिकारियों का मानना है कि इस कांड से जुड़े सभी आरोपित फिलहाल गांव छोड़कर फरार हैं, उनकी तलाश में चंपारण, यूपी तथा सीवान में संभावित ठिकानों को खंगाला गया है.
ओझा यादव की हत्या के बाद सुलग रहा दियारा
पुलिस के सामने सरेआम भाला मार कर की गयी ओझा यादव की हत्या के बाद दियारे का इलाका फिर से सुलगने लगा है. दियारे में ओझा यादव का अपना वर्चस्व था. ओझा यादव की हत्या के बाद आरोपित फिलहाल फरार हैं. ओझा यादव के करीबियों में भी आक्रोश कम नहीं है. पुलिस थोड़ी-सी चूकी तो फिर से माघी निमुईया में तनाव बढ़ सकता है. दियारे का इतिहास पहले से ही गैंगवार को लेकर सुर्खियों में रहा है. इस बार की हत्या से निमुईया में फिर से अापराधिक पृष्ठभूमि वालों को खंगालने में पुलिस जुटी हुई हैं.
मिनी चंबल के नाम से प्रसिद्ध था इलाका
मिनी चंबल के नाम से यह इलाका वर्ष 2000 के दशक तक प्रसिद्ध था. इलाके में कभी नवलबुनी तो कभी भागड़ यादव, रामचंद्र यादव, सुरेश यादव का गैंग इलाके पर प्रभावित था.
ओझा यादव का इन तमाम गैंग के बीच अपना अलग वर्चस्व था. इस हत्या ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है. इस बात को लेकर लोग दहशत में हैं कि कही फिर यह इलाका दहशत में न हो जाये.
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