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मच्छर जागे और सिस्टम सोया

डेंगू का डंक. शहर व बरौली में तेजी से फैल रहा डेंगू, नहीं करा रहा फॉगिंग गोपालगंज : शहर के साथ बरौली और ग्रामीण इलाकों में भी डेंगू का डंक तेजी से फैल रहा है. डेगू की चपेट में शहर के 43, तो बरौली में 23 मरीज हैं. इनमें 13 लोगों को रेफर किया जा […]

डेंगू का डंक. शहर व बरौली में तेजी से फैल रहा डेंगू, नहीं करा रहा फॉगिंग

गोपालगंज : शहर के साथ बरौली और ग्रामीण इलाकों में भी डेंगू का डंक तेजी से फैल रहा है. डेगू की चपेट में शहर के 43, तो बरौली में 23 मरीज हैं. इनमें 13 लोगों को रेफर किया जा चुका है. छठ में कई लोग दिल्ली से डेंगू के साथ यहां पूजा में पहुंचे हैं. आश्चर्य की बात तो यह है कि शहर में एंटी लार्वा स्प्रे करा कर लोगों को इस घातक बीमारी से बचाने के उपाय नहीं किये जा रहे हैं, जिससे डेंगू का आतंक शहर में है. सरकारी सिस्टम की लापरवाही यह है कि उच्च पदों पर बैठे लोगों को यह तक पता नहीं है कि कहां-कहां से डेंगू के मरीज अस्पताल व नर्सिंग होम पहुंच रहे हैं. जिस विभाग के पास लार्वा मारने की जवाबदेही है, उसके पास राशि का अभाव है.
भोरे, विजयीपुर, हथुआ का इलाका भी पूरी तरह डेंगू की चपेट में है. नगर पर्षद और स्वास्थ्य विभाग भी फॉगिंग के नाम पर सिर्फ बयानबाजी तक ही सीमित है. डेंगू की दस्तक ने लोगों को भयभीत कर दिया है, लेकिन विभाग व उसके अधिकारी अभी भी मुस्तैद नहीं दिख रहे हैं.
तीन से अधिक लोगों की जा चुकी है जान : डेंगू के मच्छर जग चुके हैं. इसके डंक से तीन से अधिक लोगों को जान जा चुकी है. विजयीपुर, कटेया के बाद राजापुर के रामेश्वर की मौत हो चुकी है. बावजूद इसके डेंगू के डंक से निबटने की दिशा में सिस्टम सोया हुआ है. शहर में कई स्थानों पर डेंगू के मच्छर पनप रहे हैं, लेकिन इनके सफाये के लिए न स्वास्थ्य विभाग अलर्ट दिख रहा और न नगर पर्षद.
कैसे फैलता है डेंगू : मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के डंक मारने से होनेवाले संक्रमण से डेंगू फैलता है. यह मच्छर दिन में डंक मारता है, तो रक्त में डेंगू के वायरस प्रवेश कर जाते हैं. 8 से 10 दिनों में रोग के लक्षण दिखने लगते हैं.
यूं संभव है इलाज : डेंगू बुखार का इलाज लक्षण के आधार पर किया जाता है. बुखार, उल्टी, पेट दर्द, सिर दर्द और कमजोरी दूर करने के लिए दवाएं दी जाती हैं. मरीज की नब्ज और ब्लड प्रेशर की निगरानी की जाती है. रक्त के प्लेटलेट्स काउंट दस हजार से कम होने पर पीड़ित व्यक्ति के शरीर के किसी भाग से रक्तस्राव संभव है. ऐसे में डाॅक्टर प्लेटलेट्स चढ़ाने की सलाह देते हैं.
एक बार काटने पर दोबारा बीमारी नहीं : किसी व्यक्ति को एक बार डेंगू हो जाये तो उसी प्रकार का डेंगू वायरस दोबारा शरीर पर असर नहीं डालता. हालांकि दूसरा वायरस नुकसान पहुंचा सकता है.
फॉगिंग के ये हैं नियम
डेंगू के मच्छरों व लार्वा का सफाया करने के लिए सुबह साढ़े छह बजे से साढ़े आठ बजे का समय मुफीद होता है.
इस समय हवा का बहाव कम रहता है और लोगों की आवाजाही भी कम होती है. दवा संबंधित क्षेत्र के पर्यावरण में मिल जाती है.
दोपहर में दवा दूर तक फैलती है और उसका प्रभाव कम हो जाता है.
फॉगिंग की सूचना भी पहले दी जानी चाहिए, ताकि लोग अपने घरों के खिड़की-दरवाजे खोल सकें.
सुविधा का अभाव
शहर में फॉगिंग कराने की जिम्मेदारी नगर पर्षद की है. फॉगिंग नहीं होने के कारण मच्छर पनप रहे हैं. विभाग के पास सुविधा का अभाव है.
डॉ चंद्रिका प्रसाद, डीएमओ, स्वास्थ्य विभाग

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