गोपालगंज : रैगिंग एक ऐसा डर है जो यूथ को परेशान करता है. यूथ पर रैगिंग का खतरा रोकने के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने नयी पहल शुरू की है. यूजीसी की ओर से विश्वविद्यालयों को जारी की गयी गाइडलाइन के मुताबिक यदि कोई छात्र रैगिंग करता हुआ पाया जाता है या किसी छात्र […]
गोपालगंज : रैगिंग एक ऐसा डर है जो यूथ को परेशान करता है. यूथ पर रैगिंग का खतरा रोकने के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने नयी पहल शुरू की है. यूजीसी की ओर से विश्वविद्यालयों को जारी की गयी गाइडलाइन के मुताबिक यदि कोई छात्र रैगिंग करता हुआ पाया जाता है या किसी छात्र के खिलाफ रैगिंग की शिकायत आती है, तो उसके माता-पिता को भी घटना में शामिल माना जायेगा. यानी, सीधे तौर पर रैगिंग की किसी भी घटना के लिए माता-पिता भी जिम्मेदार माने जायेंगे.
यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को गाइडलाइन जारी कर रैगिंग रोकने के लिए कई निर्देश दिये हैं. देश भर के शिक्षण संस्थानों में रैगिंग को लेकर कानून बेहद सख्त हैं. इसमें संलिप्त पाये जाने पर विद्यार्थी को निष्कासित किया जायेगा और संस्थान द्वारा एक्शन नहीं लेने पर उसकी मान्यता पर खतरा हो जायेगा. जयप्रकाश विश्वविद्यालय के अंगीभूत व संबद्ध सभी कॉलेजों ने एंटी रैगिंग कमेटी बनायी जानी थी. यूजीसी ने पिछले साल जून, 2016 में भी एंटी रैगिंग कमेटी बनाने के लिए निर्देश जारी किया था, लेकिन अबतक इस पर विश्वविद्यालय और महाविद्यालय प्रशासन ने अमल नहीं किया.
क्या है रैगिंग
वैसे तो रैगिंग का कोई निर्धारित फॉर्मेट नहीं है. रैगिंग के वक्त सीनियर स्टूडेंट कई चीजें पूछते हैं, कई एक्ट करवाते हैं. इनमें कुछ एक्ट नये विद्यार्थियों को परेशान करने के लिए कराये जाते हैं. कुछ सवाल उन्हें अच्छे नहीं लगते. यूजीसी के सर्वे में साफ है कि रैगिंग में सबसे अधिक लुक्स और क्षेत्र को लेकर नये विद्यार्थियों को परेशान किया जाता है. इसके बाद सबसे अधिक कमेंट क्षेत्र को लेकर किये जाते हैं. भाषा और जाति पर भी अधिक सवाल होते हैं. यह सब रैगिंग की श्रेणी में आता है.
विवि करेगा िनर्देशों का पालन
रैगिंग की किसी प्रकार की घटना के लिए अनुमति नहीं है. रैगिंग को लेकर यूजीसी के दिशा-निर्देशों का पालन विवि करेगा. इस संबंध में सभी कॉलेजों को निर्देश भेजा जायेगा.
प्रो हरिकेश सिंह, कुलपति, जेपी विवि, छपरा