गोपालगंज : जिले के विभिन्न प्रखंडों के प्रारंभिक स्कूलों में कार्यरत कुल 33 नियमित उर्दू शिक्षकों की नौकरी खतरे में है. ये ऐसे शिक्षक हैं जो जामिया उर्दू अलीगढ़ से प्रदत्त शिक्षक प्रशिक्षण के प्रमाणपत्र के आधार पर नियमित शिक्षक के रूप में स्कूलों में कार्यरत हैं. सरकार ने इन संस्थान के प्रमाणपत्र की मान्यता खत्म कर दी है.
इसको लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने संबंधित शिक्षकों से शोकॉज किया है. कहा गया है कि निदेशक शोध व प्रशिक्षण शिक्षा बिहार पटना ने निर्देश दिया है कि जामिया उर्दू अलीगढ़ से प्रदत्त शिक्षक प्रशिक्षण की मान्यता प्रारंभिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए मान्य नहीं है. जिला शिक्षा विभाग को भेजे गये पत्र में निदेशक ने अंकित किया है कि एनसीटीई एक्ट लागू होने के बाद जामिया उर्दू अलीगढ़ से निर्गत मोअल्लिम-ए-उर्दू को उर्दू शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए प्रशिक्षण की अर्हता नहीं माना जायेगा.
साथ ही इसके आधार पर नियुक्ति नहीं की जा सकती है. यह भी कहा गया है कि 31 दिसंबर, 1996 तक उक्त प्रशिक्षण योग्यता यथा मोअल्लिम-ए-उर्दू जामिया उर्दू, अलीगढ़ को प्रारंभिक शिक्षकों के पद पर नियुक्ति हेतु मान्यता एनसीटीई के परामर्श के आलोक में इस शर्त के साथ दी जाती है कि शोध व प्रशिक्षण निदेशालय के स्तर से आहूत होनेवाले ओडीएस, मोड या मिक्सड मोड के प्रशिक्षण को संबंधित अभ्यर्थियों द्वारा विभाग से निर्धारित होनेवाली अधिकतम समयसीमा के अंदर पूरा किया जायेगा.
शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति व विद्यालय में योगदान इस शर्त के साथ किया गया था कि भविष्य में न्यायालय या विभाग द्वारा अन्यथा कोई आदेश प्राप्त होता है तो नियुक्ति प्रभावी होगी. इस निर्देश के आलोक में ही जिला शिक्षा पदाधिकारी ने संबंधित शिक्षकों को निर्देश दिया है कि अपने प्रशिक्षण संस्था से मान्यता के संबंध में पत्र निर्गत की तिथि से एक सप्ताह के अंदर साक्ष्य सहित अपना स्पष्टीकरण समर्पित करें. स्पष्टीकरण संतोषपद्र नहीं पाये जाने की स्थिति में शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने की कार्रवाई की जायेगी.