संग्रहालय में आयोजित विश्व रंगमंच दिवस पर वक्ताओं ने रखे विचार
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पैसे से जीवित नहीं रखी जा सकती कला
संग्रहालय में आयोजित विश्व रंगमंच दिवस पर वक्ताओं ने रखे विचार गया : पैसों के बल पर कला को जीवित नहीं रखा जा सकता है. इसे जीवित रखने के लिए समर्पण की भावना होनी चाहिए. समर्पण के बिना रंगमंच को जीवित रखना संभव नहीं है. उक्त बातें कला ज्योति व संग्रहालय के संयुक्त तत्वावधान में […]
गया : पैसों के बल पर कला को जीवित नहीं रखा जा सकता है. इसे जीवित रखने के लिए समर्पण की भावना होनी चाहिए. समर्पण के बिना रंगमंच को जीवित रखना संभव नहीं है. उक्त बातें कला ज्योति व संग्रहालय के संयुक्त तत्वावधान में विश्व रंगमंच दिवस पर रविवार को ‘रंगमंच कल आज और कल’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में वक्ताओं ने कहीं. कार्यक्रम का उद्घाटन नगर आयुक्त विजय कुमार ने किया. इस मौके पर आगत अतिथियों ने रंगकर्मी स्वर्गीय कृष्ण मुरारी मिश्र को श्रद्धांजलि दी. श्री कुमार ने कहा कि हर व्यक्ति के अंदर कलाकार होता है और समय से इसका उद्भव व विकास होता है.
रंगमंच से रोटी कठिन है साथ ही समाज में उचित सम्मान भी नहीं मिलता है. उन्होंने कहा कि रंगमंच की कला को बचाने की जरूरत आन पड़ी है. उन्होंने कहा कि निगम के अधीन इंडोर स्टेडियम के लिए रुपये पड़े हैं. जीर्णोद्धार का काम शुरू कराने के लिए सरकार से अनुमति मांगी गयी है. यह काम होने से कलाकारों को प्रस्तुति देने के लिए जगह की किल्लत नहीं होगी. संग्रहालय अध्यक्ष विनय कुमार ने कहा कि संप्रति सही मंच व अवसर नहीं मिलने के कारण रंगकर्मी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. मौके पर कला ज्योति के सचिव शंभु प्रसाद सुमनश्री आरसीपी मेहता, जीबीएम के पूर्व प्राचार्य डाॅ मंजु शर्मा, गया कॉलेज के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उमेश कुमार विभागाध्यक्ष (इतिहास) मनीष मिश्र, केंद्रीय विद्यालय पहाड़पुर के शिक्षक जयनेंद्र मालवीय, गुलनार के संयोजक नीरज कुमार, अधिवक्ता डॉ शिवदत्त कुमार, शकुंतला जायसवाल, माधुरी देवी, सेवानिवृत इंजीनियर एसएन गुर्जर, संदीप कुमार व कला ज्योति के विवेक आनंद आदि ने विचार व्यक्त किये.
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