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हिंदी के जाने-माने आलोचक थे डॉ राम विनोद सिंह : वर्मा
गया : हिंदी साहित्य के जाने-माने आलोचक सह शिक्षाविद डॉ राम विनोद सिंह की मृत्यु तीन जनवरी को हो गयी. डॉ सिंह मगध विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में विभागाध्यक्ष व जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा में कुलपति के पद पर रहे. उनके निधन पर गया इवनिंग कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ नरेश प्रसाद वर्मा ने कहा कि वह हिंदी गद्य में उपन्यास व साहित्य के आलोचक शिखर थे. उनकी वाणी व लेखन कला ऐसी थी कि जैसे सरस्वती ने स्वयं उनमें निवास बना लिया हो.
व्याख्यान व भाषण कला से वह श्रोताओं को ऐसा अपने में पीरो लेते थे कि कोई भी वहां से जाने को नाम नहीं लेता था. अब मगध की धरती पर ऐसा मंत्रमुग्ध करनेवाला नहीं रह सका. साहित्य के किसी प्रश्नों का उत्तर वे बीरबल की तरह तुरंत देकर सबको चकित कर देते थे. उनके प्रश्नोत्तर का अनोखा अंदाज देख कर बड़े-बड़े विद्वान भी अचंभित रह जाते थे. डॉ सिंह के शिष्य व एमयू के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ जितेंद्र वत्स के संपादन में उनके इंद्रधनुषी व्यक्तित्व व कृतित्व पर एक अभिनंदन ग्रंथ का प्रकाशन किया है़ उनके बारे में निशांत केतु ने लिखा है-’राम विनोद सिंह बतरस के हिज मास्टर्स वायस हैं. वे बतरस को चखना व चखाना दोनों जानते हैं.’ ऐसे सुयोग्य पुत्र खोकर मगध की धरती मर्माहत है.

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