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तिब्बती श्रद्धालुओं को चीन ने बोधगया आने से रोका!

बोधगया:बौद्धों के शीर्ष धर्मगुरु दलाई लामा के नेतृत्व में बोधगया में आयोजित होने जा रही 34वीं कालचक्र पूजा पर चीन द्वारा तिब्बती नागरिकों पर जारी फरमान भारी पड़ता दिख रहा है. ढेर सारे तिब्बती श्रद्धालु अपने धर्मगुरु व उनकी आजादी की लड़ाई लड़ रहे दलाई लामा के नेतृत्व में होने जा रही कालचक्र पूजा में […]

बोधगया:बौद्धों के शीर्ष धर्मगुरु दलाई लामा के नेतृत्व में बोधगया में आयोजित होने जा रही 34वीं कालचक्र पूजा पर चीन द्वारा तिब्बती नागरिकों पर जारी फरमान भारी पड़ता दिख रहा है. ढेर सारे तिब्बती श्रद्धालु अपने धर्मगुरु व उनकी आजादी की लड़ाई लड़ रहे दलाई लामा के नेतृत्व में होने जा रही कालचक्र पूजा में शामिल होने से कतराने लगे हैं.

पूजा में तिब्बत के श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम दिख रही है. जिन श्रद्धालुओं ने चीनी शासन के फरमान से पहले ही कालचक्र के लिए बोधगया में ठिकाना बना लिया था, उनमें से भी ढेर सारे लोग यहां से तिब्बत वापसी के लिए कूच करने लगे हैं. कई होटलों से तो यह भी जानकारी मिली है कि कालचक्र के लिए यहां आये कई परिवार कमरे खाली कर वापस लौट भी चुके हैं.

निर्वासित तिब्बती पार्लियामेंट की सदस्य एलएन डोलकर ने बताया कि तिब्बती श्रद्धालुओं को कालचक्र पूजा में शामिल होने से चीन द्वारा रोका जा रहा है. उसका फरमान नहीं माननेवाले तिब्बतियों पर अत्याचार करने व उन्हें उनकी नागरिक सुविधाओं से वंचित करने की धमकी दे रहा है. इस कारण कालचक्र पूजा में तिब्बतियों की व्यापक भागीदारी पर संशय बना हुआ है.

तिब्बतन यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष तेनजिंग जिग्मे ने भी इस बात की पुष्टि की. उन्होंने भी कहा है कि चीन की सरकार ने तिब्बती नागरिकों को दलाई लामा के नेतृत्व में होने जा रही कालचक्र पूजा में शामिल होने से रोकने की कोशिश में ऊपरोक्त फरमान जारी किया है.

इस कारण चीन अधिकृत तिब्बत के श्रद्धालु यहां नहीं आ पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि चीन द्वारा तिब्बत से बाहर गये लोगों को फर्स्ट जनवरी तक वापस लौटने को कहा गया है. इसी कारण पूजा में तिब्बती श्रद्धालुओं की संख्या कम दिख रही है. वैसे, जिग्मे ने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय समुदाय सहित भारत सरकार से भी हस्तक्षेप की मांग की है. उल्लेखनीय है कि यहां तिब्बतन यूथ कांग्रेस द्वारा बोधगया में श्रद्धालुओं के लिए एक सहायता केंद्र भी शुरू किया गया है, जिसके माध्यम से श्रद्धालुओं को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये जा रहे हैं, उनकी मदद की जा रही है. अभी ज्यादातर श्रद्धालु भूटान, नेपाल, लद्दाख व हिमाचल के अतिरिक्त भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के साथ ही कुछ अन्य स्थानों से बोधगया पहुंचे हैं. वैसे, अभी इनके आने का सिलसिला जारी है.

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