गया:पितृपक्ष महासंगम के तहत विष्णुपद मंदिर परिसर में चल रही कथा के 11वें दिन साध्वी प्रज्ञा भारती का प्रवचन तुलसी दल व चार प्रकार के सुखों की व्याख्या पर केंद्रित रहा. उन्होंने श्रद्धालुओं को तुलसी दल, एकादशी व सुख के बारे में विस्तार से बताया. प्रवचन कर रहीं साध्वी ने कहा कि भगवान विष्णु को इस धरती पर सिर्फ व सिर्फ तुलसी दल ही प्रिय है.
भगवान इसे बड़े प्रेम से स्वीकारते हैं. यही वजह है कि हर अनुष्ठान में तुलसी दल की अहम भूमिका है. इसकी अनुपस्थित में कोई भी अनुष्ठान संपन्न नहीं होता है. यहां तक कि प्रतिफल भी नहीं मिलता. खासकर एकादशी के दिन तो वेद व पुराणों के मुताबिक खासा महत्वपूर्ण है. इस दिन भगवान विष्णु को भक्तों द्वारा चढ़ाया गया तुलसी दल ईश्वर भक्ति के मार्ग में तेजी से फलीभूत होता है. उन्होंने कहा कि शास्त्रों के अनुसार चार सुख तय हैं. यह चार सुख मनुष्य के लिए स्वर्ग के समान होते हैं.
पहला, निरोगी काया, दूसरा माया, तीसरा सपूत व चौथा कुलवंती नारी. चारों सुख जिस भी मनुष्य के पास हैं. उसका जीवन स्वर्ग के समान है. इस मौके पर उन्होंने शाकाहार व मांसाहार के लाभ के बारे में भी बताया. कहा कि लाख प्रयासों के बाद भी गाय को कोई मांस नहीं खिला सकता है. क्योंकि, गाय का अपने खाने के प्रति एक अपना उसूल है. वह अपने उसूल से कोई समझौता नहीं करती. शेर किसी भी शर्त पर शाकाहार भोजन नहीं कर सकता. उसका भी एक उसूल है. लेकिन, मनुष्य का भोजन के प्रति तो कोई उसूल ही नहीं है. वह तो पेट को आये दिन श्मशान घटा बनाने को अमादा है. उन्होंने कहा कि शाकाहार में इतनी ताकत है कि महाबली वीर बजरंगी हनुमान की गदा की चोट व वानरों का मांसाहारी राक्षसगण सामना नहीं कर सके व युद्ध में ढेर होते चले गये. उन्होंने कहा कि मनुष्य के लिए भोजन के रूप में अनाज व फल बना है व उस अनाज व फल से बढ़कर मांसाहार में ताकत नहीं है.