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धर्मपाल ने बनाये थे बेहतर संबंध

महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के संस्थापक वेन अनागारिक धर्मपाल का 152वां जयंती समारोह समाप्त बोधगया : महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के संस्थापक वेन अनागारिक धर्मपाल की 152वीं जयंती समारोह शनिवार को समाप्त हो गया. समारोह के समापन पर आयोजित कार्यक्रम (धम्मसभा) में बतौर मुख्य अतिथि जापान के दाइजोक्यो सोहानजान मंदिर के अध्यक्ष टी. सुगीसाकी ने […]

महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के संस्थापक वेन अनागारिक धर्मपाल का 152वां जयंती समारोह समाप्त
बोधगया : महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के संस्थापक वेन अनागारिक धर्मपाल की 152वीं जयंती समारोह शनिवार को समाप्त हो गया. समारोह के समापन पर आयोजित कार्यक्रम (धम्मसभा) में बतौर मुख्य अतिथि जापान के दाइजोक्यो सोहानजान मंदिर के अध्यक्ष टी. सुगीसाकी ने कहा कि श्रीलंका के रहनेवाले अनागारिक धर्मपाल जापान भी गये थे़ बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के सिलसिले में उनका जापान के कई बौद्ध संगठनों से मुलाकात भी हुई थी. उन्होंने कहा कि धर्मपाल ने जापानी बौद्ध संगठनों के साथ बेहतर संबंध स्थापित किये थे़ इसकी वजह से आज भी जापान व महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के संबंध बेहतर बने हुए हैं. कार्यक्रम में मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ एम़ इश्तियाक ने कहा कि बौद्ध धर्म के पुनरुद्धारक के रूप में वेन अनागारिक धर्मपाल को याद किया जाता है़
उन्होंने बौद्ध धर्म के संरक्षण व प्रचार-प्रसार के लिए काफी कुछ किया है. सम्मानित अतिथि के रूप में शामिल नालंदा यूनिवर्सिटी के कुलपति गोपा सभरवाल ने कहा कि बौद्धों के लिए बोधगया व नालंदा एक महात्वपूर्ण स्थल हैं. बौद्ध जगत में नालंदा की पहचान शिक्षा ग्रहण करने के रूप में व बोधगया की पहचान एक तीर्थस्थल के रूप में की जाती है. समापन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीलंका के वेन डॉ. एच. शांतादेव थेरो सहित अन्य शामिल हुए.

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