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हेडमास्टर अब नहीं हजम कर पायेंगे योजनाओं के रुपये

गया: निदेशालय के आदेश ने विद्यालयों के प्रभारियों पर शिकंजा कस दिया है. अब वह सरकार की ओर से विभिन्न मदों में छात्रों व स्कूल के लिए आये धन (रुपये) को आसानी से नहीं डकार सकेंगे. उन्हें स्थानांतरण या फिर सेवानिवृत्त के साथ ही पाई-पाई का हिसाब विभाग को देना होगा. ऐसा नहीं किया, तो […]

गया: निदेशालय के आदेश ने विद्यालयों के प्रभारियों पर शिकंजा कस दिया है. अब वह सरकार की ओर से विभिन्न मदों में छात्रों व स्कूल के लिए आये धन (रुपये) को आसानी से नहीं डकार सकेंगे. उन्हें स्थानांतरण या फिर सेवानिवृत्त के साथ ही पाई-पाई का हिसाब विभाग को देना होगा. ऐसा नहीं किया, तो मास्टर साहब की पगार या फिर सेवा समाप्ति के बाद मिलने वाली रकम पर रोक लग जायेगी. हिसाब-किताब क्लियर करने के बाद ही उन्हें उनका वेतन व रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली रकम मुहैया करायी जायेगी.
दरअसल प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में सरकार की ओर से तमाम मदों में धन निर्गत किये जाते हैं. जिसे खर्च करने का अधिकार स्कूल प्रभारी को ही होता है. इस अधिकार का बड़ी संख्या में स्कूल प्रभारी नाजायज लाभ उठा रहे थे. खासकर स्कूल की बिल्डिंग के निर्माण के मामले में तो वह हद ही पार कर गये थे. विभाग का कहना है कि स्कूल भवन निर्माण के लिए सरकार की ओर से बीते वर्षों में लाखों रुपये निर्गत किये गये हैं.
पर, कई स्कूलों का भवन अब तक नहीं बन सका है. ऐसे स्कूलों की संख्या जिले में 25 है. भवनों ने नहीं बनने का कारण जाना गया, तो पता चला कि रुपये के खर्च में लापरवाही बरती गयी है. जब उन पर नकेल कसा गया, तो मास्टर साहब एक से बढ़ कर एक बहाने बनाने लगे. किसी ने कहा कि जब रुपये निर्गत किया गया, तो वे संबंधित स्कूल में थे, पर अब वे दूसरे स्कूल में तैनात हैं.

कुछ प्रभारियों का कहना था कि जिस वक्त रुपये निर्गत किया गया था, उस समय उस स्कूल का हेडमास्टर कोई और था जो अब सेवानिवृत्त हो गया. इसकी वजह से सरकारी रुपये के हिसाब-किताब का पूरा ब्योरा नहीं मिल रहा है. स्कूल की बिल्डिंग का निर्माण कार्य ठप है. शिक्षकों के इस तरह के बयान से विभागीय अधिकारी पसोपेश में पड़ गये हैं. उन्होंने वैसे शिक्षकों पर मुकदमा करने का मन बना लिया है. साथ ही इस समस्या से निदेशालय को भी अवगत कराया गया है.

इसके बाद निदेशालय ने जिला शिक्षा विभाग को हर संभव कदम उठाने, साथ ही में वेतन व सेवानिवृत्ति लाभ रोकने का भी आदेश दे दिया है. डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान सुनैना कुमारी ने बताया कि आदेश जारी कर दिया गया है. साथ ही इसकी सूचना डीएम को भी दे दी गयी है. उन्होंने बताया कि बगैर एनओसी के स्थानांतरित हेडमास्टर काे न वेतन और न ही रिटायर होने वाले को सेवानिवृत्ति का लाभ मिलेगा. उसे हर हाल में विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना ही होगा. उन्हें सरकार की ओर से उनके कार्यकाल में आये रुपये का हिसाब-किताब देना होगा.

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