गया: सर्वशिक्षा अभियान के शिक्षकों के कामकाज की अजीब स्थिति है. वे सरकारी छुट्टी के दिन काम पर आते हैं, जबकि स्कूल बंद होता है. यही नहीं, उस दिन बच्चों को पढ़ाते भी हैं. मसलन, वे छुट्टी के दिन भी उपस्थिति रजिस्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज कर जाते हैं. इस बात का खुलासा पिछले दिनों […]
गया: सर्वशिक्षा अभियान के शिक्षकों के कामकाज की अजीब स्थिति है. वे सरकारी छुट्टी के दिन काम पर आते हैं, जबकि स्कूल बंद होता है. यही नहीं, उस दिन बच्चों को पढ़ाते भी हैं. मसलन, वे छुट्टी के दिन भी उपस्थिति रजिस्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज कर जाते हैं. इस बात का खुलासा पिछले दिनों राज्य परियोजना निदेशक की बोधगया में हुई बैठक में हुआ है. इस मसले पर निदेशक संजय कुमार ने जिला स्तर के अधिकारियों को आड़े हाथों लिया.
राज्य परियोजना निदेशक की बैठक, कार्य दिवस से अधिक दिनों की उपस्थिति का दर्ज किया जाना व स्कूल देर से पहुंचने के मसले पर केंद्रित रही. बैठक में बताया गया कि विगत दिनों छह जिलों में संचालित सर्वशिक्षा अभियान के स्कूलों का सर्वे कराया गया. इनमें नालंदा, शेखपुरा, गया, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद व नवादा शामिल थे. इन सभी जिलों के शिक्षक अक्सर 10 मिनट से लेकर एक घंटे तक स्कूल विलंब से पहुंचते हैं.
इतना ही नहीं, विलंब से स्कूल पहुंचने के बाद भी वे पठन-पाठन का काम शुरू नहीं करते हैं. लंबे समय तक वे अपने घर से लेकर दफ्तर व बाजार की आपस में चर्चा करते हैं. इस दौरान उनका आधा समय निकल जाता है. इसके बाद ही वे कामकाज पर आते हैं. वे अपनी उपस्थिति दर्ज करने में भी माहिर हैं. अवकाश वाले दिनों में भी उपस्थिति पंजिका में खुद को उपस्थित दिखाते हैं.
यह आलम तब है, जब ब्लाॅक में बीइओ द्वारा नियमित चेकिंग करने का दावा किया जाता है. बावजूद इसके शिक्षकों के कार्य दिवस के अलावा कागजों में उपस्थिति दर्ज होती है. बैठक में निदेशक संजय कुमार ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को संबंधित मामले में ठोस कार्रवाई के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.
इसके अलावा उन्होंने सर्वशिक्षा अभियान स्कूलों की बिल्डिंग के निर्माण के मद्देनजर दिये गये अग्रिम भुगतान पर सवाल उठाया. कहा कि भुगतान के बावजूद बिल्डिंग नहीं बनी है, तो धन वापस लेने की कार्रवाई की जाये.