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सीआरपीएफ कैंप नहीं गया होता तो कुछ भी हो सकता था : मांझी

गया: पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि विगत दिनों डुमरिया में लोजपा नेता सुदेश पासवान व उनके भाई की हत्या के अगले दिन जब उनके परिजनों से मिलने पहुंचे, तो बड़ी ही सुनियोजित तरीके से उनके काफिले पर हमला कराया गया. यह राजनीतिक साजिश थी. गुरुवार को गोदावरी स्थित अपने आवास पर पत्रकारों को […]

गया: पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि विगत दिनों डुमरिया में लोजपा नेता सुदेश पासवान व उनके भाई की हत्या के अगले दिन जब उनके परिजनों से मिलने पहुंचे, तो बड़ी ही सुनियोजित तरीके से उनके काफिले पर हमला कराया गया. यह राजनीतिक साजिश थी.

गुरुवार को गोदावरी स्थित अपने आवास पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए श्री मांझी ने कहा कि गनीमत थी कि उनका काफिला मौके से 200 गज पहले रोड़ा-पत्थर से बनाये गये ब्रेकर की वजह से रूक गया. अगर, वह वहां पहुंच जाते और गाड़ी पर हमला होता, तो बचने का सवाल ही नहीं था. फिर भी, उनके एस्कॉर्ट वाहन को आग के हवाले कर ही दिया गया. अगर, उनके ड्राइवर ने सीआरपीएफ कैंप में गाड़ी नहीं लगायी होती, तो कुछ भी हो सकता था.

पूर्व सांसद की भी ऐसे ही हुई थी हत्या : श्री मांझी ने कहा कि घटना के दिन रोशन मांझी नाम का एक व्यक्ति बार-बार फोन कर उन्हें मौके पर बुला रहा था. यह जांच होनी चाहिए कि वह किसके इशारे पर ऐसा कर रहे थे. हालांकि, भाजपा जिलाध्यक्ष ने साफ कर दिया है कि रोशन का भाजपा से कोई संबंध नहीं है. पिछले चुनावों में वह राजद के साथ थे. श्री मांझी ने कहा कि पूर्व सांसद राजेश कुमार की इसी तरह हत्या कर दी गयी थी. हो सकता है कि उनकी भी हत्या की साजिश रची गयी हो और इसमें वही लोग शामिल हों, जिन्होंने पूर्व सांसद की हत्या की थी. इस मामले की सीबीआइ जांच होनी चाहिए.

बाहरी थे उपद्रव करनेवाले लोग : पूर्व सीएम ने कहा कि सुदेश पासवान का डुमरिया में ठीक-ठाक कद था. पिछले चुनाव में सुदेश ने उनकी मदद भी की थी. वह किसी भी सूरत में उनके परिजनों से मिलना चाहते थे. प्रशासन की ओर से वहां जाने की मनाही नहीं थी. हालांकि, खुफिया विभाग ने मना किया था. इधर, सुदेश की पत्नी व भाई बार-बार लाेगाें से मेरे आने के बारे में पूछ भी रहे थे. सुदेश का परिवार उपद्रवियों का विरोध कर रहा था. श्री मांझी ने कहा कि उपद्रव करनेवाले लोग बाहरी थे. इन सब मामले की सीबीआइ जांच होनी चाहिए. सुदेश व उनके भाई की हत्या के पीछे किसी नक्सली संगठन का हाथ नहीं, बल्कि

राजनीतिक साजिश है. किसी भी संगठन ने दोनों हत्याओं की जिम्मेवारी नहीं ली है. सीबीआइ की माइक्राे जांच से ही पूरा मामला सामने आयेगा. यह बड़ा ही दुखद है कि उनके काफिले पर हमले के बाद पुलिस का एक भी अधिकारी उनसे पूछताछ करने नहीं आया.

कदाचार पर रोक लगे, पर पढ़ाई पर भी हो ध्यान : श्री मांझी ने कहा कि शिक्षा के स्तर में गिरावट और उसके बचाव में शिक्षा विभाग के ऐसे अधिकारी आये हैं, जिनका नीतीश कुमार से करीबी संबंध है. कदाचार पर रोक लगायी जाये, पर बच्चाें की पढ़ाई पर भी जरूर ध्यान दिया जाना चाहिए. सिमुलतल्ला स्कूल के सभी बच्चे अच्छे अंकों के साथ पास हुए हैं.

ऐसा अन्य स्कूलाें में भी क्याें नहीं? कॉमन स्कूली सिस्टम लागू हाेना चाहिए. गरीब के बच्चे हर स्तर पर पिस रहे हैं. सरकार काे शिक्षा का बजट बढ़ाना चाहिए, ताकि संसाधन बढ़ाये जा सकें और बेहतर शिक्षक भी रखे जा सकें.

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