मार्च में खेत को अच्छी तरह से जुताई कर डीएपी, पोटाश, यूरिया व जिंक डाल कर खेतों में क्यारी बनाते हैं. इसे बाद सिंचाई कर पांच-पांच अंगुली की दूरी पर पौधारोपण किया जाता है. तीन माह के पूरे फसल चक्र में एक बार निकौनी व 15 बार सिंचाई की आवश्यकता समय-समय पर होती है. इसी दौरान बीच-बीच में रसायनिक खाद डाला जाता है. प्याज के पौधे में मुख्य रूप से पत्ता सूखने की बीमारी होती है. इससे छुटकारा पाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है.
किसानों ने बताया कि 90 दिनों की कम अवधि में प्रति बीघा 40 हजार की लागत पर कम से कम 80 हजार रुपये की आमदनी होती है, जो बाजार मूल्य भाव पर निर्धारित होता है. प्याज को व्यापारियों द्वारा खेत से ही खरीद लिया जाता है. किसानों का मानना है कि प्राणपुर गांव की भूमि प्याज की खेती के लिए उपर्युक्त है.