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तसवीर बदलने वालों का भविष्य अंधेरा क्यों !

गया: बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् इंप्लाइज यूनियन (बीएसपीपीइयू) के महासचिव शिवशंकर प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व शिक्षामंत्री पीके शाही को पत्र लिख कर कॉन्ट्रैक्ट पर कार्यरत कर्मियों की सेवा नियमित करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा की बदली तसवीर के लिए डंका तो पिट रही है, पर 15-16 वर्षो […]

गया: बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् इंप्लाइज यूनियन (बीएसपीपीइयू) के महासचिव शिवशंकर प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व शिक्षामंत्री पीके शाही को पत्र लिख कर कॉन्ट्रैक्ट पर कार्यरत कर्मियों की सेवा नियमित करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा की बदली तसवीर के लिए डंका तो पिट रही है, पर 15-16 वर्षो से तसवीर बदलने में अहम भूमिका निभाने वाले कर्मियों की उपेक्षा होती आ रही है.

हालांकि, न केवल मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री वरन तत्कालीन परियोजना निदेशक राजेश भूषण ने भी परियोजना कर्मियों को आश्वस्त किया था कि कमेटी गठित कर इसके लिए नियमावली बनायी जायेगी. पिछले साल मंत्री परिषद् में लिये गये निर्णय के आलोक में नियमावली बना भी ली भी गयी है. पर, आश्चर्य इस बात का है कि राज्य सरकार नियंत्रित सोसाइटी व निगम को इस नियमावली से अलग रखा गया है. आखिर ऐसा क्यों?

श्री प्रसाद ने शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत बिहार शिक्षा परियोजना परिषद्, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद्, महिला समाख्या, बिहार शैक्षिक आधारभूत संरचना निगम, मध्याह्न् भोजन योजना समिति, स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत राज्य स्वास्थ्य समिति, एड्स कंट्रोल बोर्ड, ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्यरत जीविका, मनरेगा, आत्मा आदि राज्य सरकार द्वारा गठित व नियंत्रित सोसाइटी है. आखिर इनमें कार्यरत कर्मियों की सेवा स्थायी नहीं होगी, तो किसकी होगी? उन्होंने यह भी कहा है कि दिल्ली प्रदेश की नवगठित सरकार को इस शर्त पर जदयू ने समर्थन दिया है कि कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त कर्मियों की सेवा स्थायी की जायेगी. फिर, बिहार में क्यों नहीं की जा रही है. इससे जदयू सरकार की दोहरा चरित्र परिलक्षित होता है. पत्र में चार सूत्री मांग भी है, जिसमें सेवा स्थायी करने, कनीय कर्मियों रिक्त पदों पर प्रोन्नति देने, मुखदेव कमेटी की अनुशंसा को लागू करने, असंतोषजनक सेवा बता कर हटाये गये कर्मियों पर पुनर्विचार करने की मांग शामिल है.

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