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पांडुलिपियों के संरक्षण पर कुलपति गंभीर

बोधगया : मगध विश्वविद्यालय के मन्नूलाल केंद्रीय पुस्तकालय में मौजूद पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए कुलपति प्रो डॉ मोहम्मद इश्तियाक ने सक्रियता दिखाते हुए ठोस पहल की है. साथ ही कुलपति ने एक कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी में एमयू के रजिस्ट्रार डॉ सीताराम सिंह, वित्त पदाधिकारी डीके सिन्हा, मन्नूलाल केंद्रीय पुस्तकालय के […]

बोधगया : मगध विश्वविद्यालय के मन्नूलाल केंद्रीय पुस्तकालय में मौजूद पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए कुलपति प्रो डॉ मोहम्मद इश्तियाक ने सक्रियता दिखाते हुए ठोस पहल की है. साथ ही कुलपति ने एक कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी में एमयू के रजिस्ट्रार डॉ सीताराम सिंह, वित्त पदाधिकारी डीके सिन्हा, मन्नूलाल केंद्रीय पुस्तकालय के इंचार्ज डॉ कपिलदेव सिंह, दूरस्थ शिक्षा निदेशाालय के डायरेक्टर डॉ इसराइल खां व डॉ एमएमए अंसारी में शामिल किया गया है.
डॉ एमएमए अंसारी ने बताया कि पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए कल्चर हेरिटेज कन्जरवेशन (सांस्कृतिक विरासत संरक्षण) के प्रमुख डॉ एसपी सिंह से वार्ता हुई है और हाल में ही केंद्रीय पुस्तकालय का भ्रमण भी किया है. उन्होंने अपनी देख-रेख में पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए कामकाज करने का आश्वासन भी दिया है.

गौरतलब है कि डॉ एसपी सिंह आइआइटियन हैं और देश-दुनिया के कई बड़े पुस्तकालयों में पांडुलिपियों के संरक्षण का कामकाज कर चुके हैं. इसमें प्रमुख हैे खुदा बख्श पब्लिक लाइब्रेरी पटना, स्वर्ण मंदिर अमृतसर, जामिया मिलिया इस्लामिया केंद्रीय पुस्तकालय नयी दिल्ली शामिल हैं. इसमें खास बात है कि पांडुलिपियों का संरक्षण एक विशेष विधि से किया जाता है. पांडुलिपियों पर टीसू पेपर के जरिये रसायनिक लेप चढ़ा कर लैमिनेट भी किया जाता है, जिससे उनकी आयु लगभग सौ वर्ष बढ़ जाती है. डॉ एमएमए अंसारी ने बताया कि कुछ पांडुलिपियों की भाषा को समझने के लिए विशेषज्ञों की मदद भी लेनी पड़ेगी.

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