बोधगया: हर मानव को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है. व्यक्ति की गरिमा को स्थापित करने में मानव अधिकार का बड़ा ही महत्व है. ये बातें मंगलवार को एमयू के बीएड विभाग में ‘इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स डे’ के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में पीयूसीएल के पूर्व अध्यक्ष प्रो बिनोद कंठ ने कहीं. उन्होंने कहा कि मानव अधिकार के मूल्यों को आत्मसात करना जरूरी है.
अधिकार का जहां भी हनन हो रहा हो उसका विरोध करना चाहिए. वहीं, पीयूसीएल (बिहार) के उपाध्यक्ष प्रो डेजी नारायण ने कहा कि महिलाओं पर होने वाले विभिन्न तरह के अत्याचार (घरेलू व सामाजिक) का सामना करने के लिए महिलाओं को आगे आना होगा. उन्होंने इस पर शोध करने की सलाह भी दी. मुख्य अतिथि कुलपति प्रो नंदजी कुमार ने मानव अधिकार को लेकर बने विभिन्न संगठनों व सरकारी स्तर से किये जाने वाले प्रयासों पर प्रकाश डाला.
उन्होंने कहा कि समाज में हर किसी को सम्मानित जीवन जीने का अधिकार है. अगर, कहीं इसका हनन होता है तो इसके लिए मानव अधिकार की लड़ाई लड़ रहे संगठनों से संपर्क करना चाहिए. इसके अलावा कई वक्ताओं ने सरकार की तरफ से किये जा रहे प्रयास को नाकाफी बताया व इसके लिए ठोस प्रयास करने की जरूरत पर जोर दिया. पीयूसीएल के सदस्य प्रो एमएन अंजुम ने अतिथियों का स्वागत करते हुए मानव अधिकार क्या है, पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि 1948 में यूनाइटेड नेशन के जेनरल असेंबली में 10 दिसंबर को एक प्रस्ताव लाया गया था. इसके बाद हर साल आज के दिन अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन हम मानव के सम्मान की रक्षा करने के प्रति संकल्प भी लेते हैं. संगोष्ठी में एमयू के कुलसचिव डॉ डीके यादव ने भी अपने विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम का संचालन डॉ एएच खान व धन्यवाद ज्ञापन प्रो नीलिमा सिन्हा ने किया.