गया: औरंगाबाद जिले के नवीनगर थाना क्षेत्र में भाकपा-माओवादी हमले में शहीद हुए टंडवा थानाध्यक्ष अजय कुमार के बड़े भाई मनोज पोद्दार के आने का घंटों इंतजार किया गया. मनोज अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं.
मंगलवार की शाम में घटना की जानकारी पाते ही मनोज पुरुषोत्तम एक्सप्रेस से गया के लिए रवाना हो गये. परिजनों की मंशा थी कि बड़े भाई के आने के बाद ही शहीद अजय के शव का दाह संस्कार किया जाय. इस कारण परिजनों ने बड़े भाई के आने का घंटों इंतजार किया. करीब एक घंटे तक औरंगाबाद से शव लेकर आ रही पुलिस गाड़ी को परिजनों ने मगध विश्वविद्यालय के समीप रोके रखा, ताकि अजय के शव को उसी समय घर पर ले जाया जाय, जब उनके बड़े भाई वहां पहुंचने वाले हो, ताकि घर पर ज्यादा समय तक शव को नहीं रखा जाय. उनके पिता व माता की तबीयत खराब होने की आशंका बनी थी. बड़े भाई अपने परिवार के साथ डीवीसी कॉलोनी पहुंचे, तब शहीद का शव वहां पहुंचा और लोग दाह-संस्कार के लिए लोग रवाना हुए.
चेनारी से पहुंचे अंचलाधिकारी
घटना की जानकारी पाते ही रोहतास जिले के चेनारी के अंचलाधिकारी (सीओ) वीरेंद्र कुमार शहीद अजय के घर पहुंचे और परिजनों को सांत्वना दी. सीओ ने बताया कि उनकी आंखों के सामने अजय का बचपन बीता. अजय का ज्यादा लगाव उनके भतीजा मुकेश कुमार भगत से रहा. अजय व मुकेश दोनों एक साथ पढ़े. चंदौती उच्च विद्यालय से हाइस्कूल तक की पढ़ाई पूरी की. संयोगवश दोनों की बहाली वर्ष 2009 में पुलिस विभाग में हो गयी. दोनों की तैनाती औरंगाबाद जिले में सब-इंस्पेक्टर के रूप में हुई. अजय की पोस्टिंग दाउदनगर थाने में हुई. उसके बाद उसे अजय को टंडवा थाने की जिम्मेवारी दी गयी. थानाध्यक्ष के रूप में अजय का यह पहला थाना था. उसने काफी मेहनत की. वह पुलिसिंग में हर मोरचे पर अपने आप को सफल साबित करने में लगा रहा. इस कारण, कम समय में ही उसने सफल थानाध्यक्ष के रूप में अपने आप को स्थापित कर लिया. लेकिन, होनी को कुछ और ही मंजूर था.