गया: औरंगाबाद जिले के नवीनगर में भाकपा-माओवादी हमले में शहीद हुए टंडवा थानाध्यक्ष अजय कुमार के पिता राम शोभित पोद्दार ने नक्सलग्रस्त थानों में दारोगा व सिपाहियों की पोस्टिंग के मामले पर नीति में बदलाव करने की मांग की है. बिजली विभाग से रिटायर्ड हुए गया की डीवीसी कॉलोनी में रहने वाले श्री पोद्दार बताते हैं उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है.
जिस दिन उनके बेटे ने भारत मां की सेवा करने के लिए वरदी पहनी थी, उस दिन उन्हें काफी खुशी हुई थी. अब उनका बेटा इस दुनिया में नहीं रहा, इसका गम नहीं है. लेकिन, राज्य सरकार को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि नक्सलग्रस्त थानों में किसी भी दारोगा व सिपाही की पोस्टिंग लंबे समय तक नहीं रहे. समय-समय पर स्थानांतरण होते रहना चाहिए. कई वर्षो तक एक ही थाने में पुलिस पदाधिकारियों व सिपाहियों की तैनाती रहने से वे माओवादी सहित अन्य नक्सली संगठन के निशाने पर आ जाते हैं. राज्य सरकार नक्सलग्रस्त थानों में दारोगा व सिपाहियों की पोस्टिंग करने की नीति में बदलाव लाये और कोशिश हो कि एक निश्चित समय के लिए ही दारोगा व सिपाहियों की तैनाती हो.
हथेली पर नहीं है ट्रांसफर की रेखा: श्री पोद्दार बताते हैं कि टंडवा थाना पूरी तरह से नक्सलग्रस्त है. करीब डेढ़ वर्ष पहले उनके बेटे की पोस्टिंग वहां की गयी थी. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि उनके बेटे ने माओवादियों के दांत खट्टे कर दिये थे. अपने उत्कृष्ट कार्यो के कारण वह अपने सीनियर पुलिस पदाधिकारियों का चहेता था. हालांकि, उसने अपने स्थानांतरण के लिए कई बार एसपी से मुलाकात की थी. कुछ माह पूर्व उसने बताया था कि टंडवा थाने से स्थानांतरण के लिए एसपी से मुलाकात की. एसपी इस बात पर टाल-मटोल कर रहे थे. विनती की, तो एसपी ने उसकी हथेली देख कर कहा कि उसकी हथेली की रेखाएं बता रही हैं कि अभी उसका स्थानांतरण नहीं हो सकता है. समय आयेगा, तो स्थानांतरण स्वत: हो जायेगा.