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बालश्रम मुक्त जिला बनेगा गया : सचिव

बालश्रम मुक्त जिला बनेगा गया : सचिवफोटो- बोधगया 08- कार्यक्रम में शामिल सचिव, अध्यक्ष व अन्य, 09-बालश्रम से मुक्त बच्चों के साथ सचिव व अन्यबालश्रम उन्मूलन व जागरूकता को लेकर आयोजित की गयी कार्यशालासंवाददाता, बोधगयाश्रम संसाधन विभाग के सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने कहा कि गया जिले को बालश्रम मुक्त जिला बनाना है. इसके लिए […]

बालश्रम मुक्त जिला बनेगा गया : सचिवफोटो- बोधगया 08- कार्यक्रम में शामिल सचिव, अध्यक्ष व अन्य, 09-बालश्रम से मुक्त बच्चों के साथ सचिव व अन्यबालश्रम उन्मूलन व जागरूकता को लेकर आयोजित की गयी कार्यशालासंवाददाता, बोधगयाश्रम संसाधन विभाग के सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने कहा कि गया जिले को बालश्रम मुक्त जिला बनाना है. इसके लिए योजनाएं तैयार की जा रही हैं और दूसरे राज्यों में बाल श्रमिक के रूप में काम कर रहे बच्चों को मुक्त कराने के साथ ही जिले के होटलों, रेस्टोरेंटों व अन्य संस्थानों में काम कर रहे बाल श्रमिकों को भी मुक्त कराना है. डॉ सिद्धार्थ ने सोमवार को बोधगया के निगमा मोनास्टरी परिसर में मुक्त बालश्रमिकों को जागरूक व प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम में उक्त बातें कहीं. उन्होंने कहा कि विगत जनवरी में हैदराबाद, मुंबई व जयपुर से मुक्त कराये गये 453 बाल श्रमिकों को स्कूलों में नामांकन का निर्देश दिया गया था. यह जानकर खुशी हुई कि सभी बच्चे स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने यहां मौजूद बालश्रमिकों के अभिभावकों को कहा कि दलालों के बच्चे बलश्रमिक नहीं बनते हैं, लेकिन थोड़े से पैसे के लालच में आप अपने बच्चों को काम करने भेज दिया करते हैं. यह गलत है व बच्चों के भविष्य के साथ अन्याय भी है. बालश्रम कानूनन जुर्म है. उन्होंने कहा कि सरकार आपकी तंगहाली को दूर करने के लिए मदद को तैयार है. विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठायें व बच्चों को बाल श्रमिक होने से बचाएं. इसमें बोधगया के प्रभारी बीडीओ सह सीओ(प्रशिक्षु आइएएस) रोशन कुशवाहा ने कहा कि तत्काल लाभ के लिए बच्चों से काम कराने में बच्चों के सेहत खराब हो जायेंगे और बुढ़ापे का सहारा भी बीमार हो जायेगा. उन्होंने कहा कि प्रखंड स्तर से योजनाओं का लाभ उठायें व बच्चों को स्कूल भेंजें. कार्यक्रम में नगर पंचायत की अध्यक्ष प्रीति सिंह, बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग के अध्यक्ष चंदेश्वर चंद्रवंशी, उपाध्यक्ष अनिता सिन्हा, सदस्य मुक्तारूल हक व अन्य ने संबोधित किया. कार्यक्रम का आयोजन यूनिसेफ के सहयोग से किया गया था. सचिव डॉ सिद्धार्थ ने अब गांव-गांव जाकर बाल श्रम से विमुक्त बच्चों की स्थिति देखने की भी बात कही है. अगला कार्यक्रम अतरी में आयोजित की जायेगी.पैसे की तंगी से भेजा कमानेकार्यक्रम में मुक्त बालश्रमिकों के अभिभावकों को भी बुलाया गया था. उन्हें भी बोलने का मौका दिया गया था. इस दौरान खिरियांवा गांव की सोनी खातून ने कहा कि उनके पति की तबीयत खराब रहती है, घर में खाने के लिए अनाज नहीं है, बच्चों को पढ़ाने व कपड़े के लिए पैसे नहीं है. ऐसे में वह अपने बेटे को काम पर भेज दी थी. उसके कमाई से गुजारा हो रहा था. इसी तरह अन्य कई अभिभावकों ने पैसे का गरज बताते हुए अपने बच्चों को काम करने के लिए भेजने की बात कही. इस बीच बल श्रमिक के रूप में काम कर रहे सुधीर मांझी ने कहा कि वह हैदराबाद में चूड़ी फैक्टरी में काम करता था. अब वह स्कूल जाता है. उसने अन्य बच्चों से भी पढ़ाई करने की अपील की.

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