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”पापा घर लौट आइए बहुत याद आती है”

बोधगया: पिता का प्यार पाने से वंचित मासूमों ने शुक्रवार को बुद्ध के समक्ष प्रार्थना की. सभी ने अपने पिता के घर लौट आने की कामना की. ये सभी बच्चियां नक्सलग्रस्त क्षेत्रों से ताल्लुक रखती हैं. सभी को कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में रख कर पढ़ाया-लिखाया जा रहा है. इन बच्चियों के सपने भी आम […]

बोधगया: पिता का प्यार पाने से वंचित मासूमों ने शुक्रवार को बुद्ध के समक्ष प्रार्थना की. सभी ने अपने पिता के घर लौट आने की कामना की. ये सभी बच्चियां नक्सलग्रस्त क्षेत्रों से ताल्लुक रखती हैं. सभी को कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में रख कर पढ़ाया-लिखाया जा रहा है.

इन बच्चियों के सपने भी आम बच्चों की तरह ही हैं, पर उनके इलाके में नक्सली गतिविधि के कारण ये अपने आप को अलग-थलग महसूस करती हैं. यह भी सच है कि इनके घरों से या आस-पड़ोस का कोई न कोई युवक नक्सली गतिविधि में भी शामिल है. इन्हें पुलिस का डर है व हर वक्त पुलिस से दो-दो हाथ करने को भी तैयार रहना पड़ता है. जानें भी चली जाती हैं.

इनमें कई ऐसे भी हैं, जिनके बच्चे बड़े हो चुके हैं. उन्हें पिता का प्यार व परवरिश की दरकार है. ये बच्चे भय के माहौल में जीवन गुजार रहे हैं और शांति के वातावरण में जीना चाहते हैं.

गया पुलिस ने ऑपरेशन ‘विश्वास’ के तहत अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ते कदम को आगे बढ़ाते हुए शुक्रवार को नक्सलग्रस्त क्षेत्र बाराचट्टी व डुमरिया की छात्राओं को बोधगया में आयोजित शांति मार्च में शामिल कराया व उन्हें प्रेरित करते हुए भवनात्मक रूप से भी शांति दूत बनाने का प्रयास किया. बच्चों ने भी काफी उत्साह के साथ इसमें भाग लिया और बुद्ध के समक्ष बोधिवृक्ष के नीचे शांति के लिए प्रार्थना की.

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