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एसएसपी ने एफएसएल डारयेक्टर को भेजा पत्र, एडीजी सीआइडी से भी साधा संपर्क

एसएसपी ने एफएसएल डारयेक्टर को भेजा पत्र, एडीजी सीआइडी से भी साधा संपर्क फ्लैग- हिरासत के मौत. थम नहीं रहा सुजीत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का मामलाफोटो-वरीय संवाददाता, गयागत 13 दिसंबर को मगध मेडिकल थाना पुलिस की हिरासत में हुई पलामू के युवक सुजीत सिंह की मौत के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में लीपापोती व दिग्भ्रमित […]

एसएसपी ने एफएसएल डारयेक्टर को भेजा पत्र, एडीजी सीआइडी से भी साधा संपर्क फ्लैग- हिरासत के मौत. थम नहीं रहा सुजीत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का मामलाफोटो-वरीय संवाददाता, गयागत 13 दिसंबर को मगध मेडिकल थाना पुलिस की हिरासत में हुई पलामू के युवक सुजीत सिंह की मौत के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में लीपापोती व दिग्भ्रमित करनेवाला रिपोर्ट जारी करने का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है. मगध मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक विभाग के डॉक्टरों द्वारा पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सुजीत की मौत के स्पष्ट कारणों का खुलासा नहीं किये जाने को एसएसपी गरिमा मलिक ने गंभीरता से लिया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सुजीत की स्पष्ट कारणों का खुलासा करने में डॉक्टरों की टाल-मटोल की नीति को देखते हुए एसएसपी ने गुरुवार को पटना के फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) के डायरेक्टर को पत्र भेजा है और उनसे सुजीत के शव से निकाले गये बिसरा की जांच रिपोर्ट जल्द से जल्द भेजने को कहा है. एसएसपी के इस कदम से पुलिस महकमे के साथ-साथ पोस्टमार्टम रिपोर्ट को तैयार करने से जुड़े मेडिकल अधिकारियों में हड़कंप मच गया है. वहीं, निलंबित इंस्पेक्टर बृजबिहारी पांडेय की मुश्किलें दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं. जल्द ही इश्यू करें मौत का स्पष्ट कारण एसएसपी ने बताया कि पुलिस हिरासत में सुजीत की मौत बेहद गंभीर मामला है. इसमें दोषियों को कतई बख्शा नहीं जायेगा. लेकिन, सुजीत की मौत का कारणों का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही करेगी. रिपोर्ट डॉक्टरों को देनी है. डॉक्टरों की टीम पाेस्टमार्टम रिपोर्ट में सुजीत की मौत के कारणों का स्पष्ट खुलासा करना चाहिए, लेकिन इसमें विलंब हो रही है. वहीं, सुजीत का बेसरा एफएसएल में जांच के लिए गया है. गुरुवार को एफएसएल डायरेक्टर को पत्र भेज कर जल्द से जल्द बेसरा रिपोर्ट उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही स्पष्ट हो पायेगा कि सुजीत की मौत को लेकर उसके परिजनों द्वारा लगाया गया आरोप सही है गलत.एडीजी सीआइडी से भी किया गया संपर्क एसएसपी ने बताया कि इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की गाइडलाइन के अनुसार से ही कार्रवाई की रही है. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एडीजी सीआइडी से संपर्क साधा गया है. उनसे भी जरूरी दिशा-निर्देश लिये गये हैं. परिजनों रख सकते हैं अपनी बात एसएसपी ने बताया कि सुजीत की मौत के मामले में अब तक पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई को लेकर उसके परिजनों को किसी प्रकार की शिकायत है, तो वे अपनी बात मौखिक व लिखित रूप से पुलिस के वरीय अधिकारियों के सामने रख सकते हैं. उनकी हर बातों को गंभीरता से सुना जायेगा और शिकायतों की जांच करायी जायेगी. कोशिश है कि सुजीत के परिजनों को न्याय मिले. मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट से बढ़ सकती हैं निलंबित इंस्पेक्टर की मुश्किलेंसूत्र बताते हैं कि पुलिस कस्टडी में सुजीत की मौत की जांच के लिए डीएम कुमार रवि द्वारा नियुक्त मजिस्ट्रेट वरीय उपसमाहर्ता रंजन कुमार चौधरी ने 12 लोगों का बयान दर्ज कर लिया है. संभावना है कि शुक्रवार को मजिस्ट्रेट डीएम को रिपोर्ट सौंप देंगे. हालांकि, इस संबंध में मजिस्ट्रेट ने कुछ भी बताने से इनकार किया. लेकिन, सूत्र बताते हैं कि गत 13 दिसंबर को मगध मेडिकल कॉलेज पहुंचे मजिस्ट्रेट ने मृत्यु समीक्षा रिपार्ट तैयार करने के दौरान सुजीत के शरीर पर जितने भी जख्म के निशान देखे थे, उनका जिक्र जांच रिपोर्ट में होगा. मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट के बाद इस कांड के आरोपित इंस्पेक्टर बृजबिहारी पांडेय की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सिर्फ इंस्पेक्टर पर कार्रवाई कर खानापूर्ति क्यों ? कहां हैं अस्पताल में इलाज के दौरान सुजीत की सुरक्षा में तैनात सिपाही रोशन कुमार, गयापुलिस कस्टडी में सुजीत की मौत के बाद उनके मामा श्यामकिशोर सिंह की पत्नी सरस्वती देवी ने आरोप लगाया था कि गत 12 दिसंबर की दोपहर व शाम में मगध मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में इलाज के दौरान थानाध्यक्ष व पुलिसवालों ने सुजीत की पिटाई की. मामी के बयान से स्पष्ट है कि थानाध्यक्ष के साथ-साथ कई पुलिसकर्मी भी थे. लेकिन, इस मामले में एसएसपी गरिमा मलिक ने सिर्फ थानाध्यक्ष ( इंस्पेक्टर बृजबिहारी पांडेय) को ही निलंबित किया है, अन्य पुलिसकर्मियों के विरुद्ध अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. इन पुलिसकर्मियों की पहचान भी नहीं की गयी है. पुलिस के वरीय अधिकारियों की यह दोरंगी नीति से यह स्पष्ट है कि वह सिर्फ एक इंस्पेक्टर पर कार्रवाई कर पूरे मामले की लीपापोती करने में लगे हैं. इधर, सुजीत की मामी के अनुसार, गत 11 दिसंबर की रात करीब 10 बजे सुजीत को पुलिस हिरासत में मगध मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भरती कराया गया था. इसके बाद गत 12 दिसंबर को उसे मेडिसीन वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया था. स्वाभाविक है कि जब सुजीत पुलिस हिरासत में था, तो उसकी सुरक्षा में मगध मेडिकल थाना द्वारा दो-तीन सिपाहियों या चौकीदारों की तैनाती की गयी होगी. अब सवाल यह है कि जब अस्पताल में सुजीत की पिटाई हुई, तो वहां तैनात सिपाही या चौकीदार कहां थे? क्या मारपीट में ये सिपाही भी शामिल थे? अगर वहां तैनात सिपाहियों ने भी मारपीट किया था] तो उन सिपाहियों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

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