बोधगया : भगवान बुद्ध के भ्रमण स्थलों पर सोमवार से भारत व विदेश के एक हजार से ज्यादा बौद्ध भिक्षुओ, भिक्षुणी व उपासक (द्रुपका साधु व साध्वी)भ्रमण करेंगे. 1000 किलोमीटर की यात्रा के दौरान श्रद्धालु वाराणसी, सारनाथ, बोधगया, राजगीर, वैशाली, कुशीनगर, श्रवस्ती व लुंबिनी जाकर पूजा-अर्चना करेंगे.
इस तीर्थयात्रा में भारत सहित अमेरिका, इंगलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ब्राजील, मैक्सिको, पेरू, स्पेन, स्विटजरलैंड, हांगकांग, मलेशिया, वियतनाम, सिंगापुर, ताइवान आदि देशों के श्रद्धालु शामिल होंगे. सोमवार को यह दल बोधगया से राजगीर जायेगा वा वापस बोधगया लौट जायेगा.
मंगलवार को आगे के लिए प्रस्थान करेगा. इस अवसर पर रविवार को ग्यालवंग द्रुपका ने प्रेस प्रतिनिधियों को बताया कि द्रुपका वंशावली का आधार हिमालय क्षेत्र में है. यह 1000 साल पुरानी वंशावली है व भारत के पुरानी वंशावलियों में प्रमुख है. उन्होंने कहा कि द्रुपका बौद्ध दर्शन की महायाना परंपरा का पालन करते हैं.इनके तरीके तंत्रयना शिक्षण पर आधारित है. उन्होंने बताया कि उनका मिशन दुनिया में आंतरिक शांति व सद्भाव को बढ़ावा देना है.
इस यात्रा के बारे में उन्होंने बताया कि इसमें शामिल श्रद्धालुओं को मानसिक व आध्यात्मिक रूप से बुद्ध के करीब लाना है. सभी श्रद्धालु बस व अन्य वाहनों से यात्रा करेंगे. बोधगया से शुरू होने वाली तीर्थयात्रा लुंबिनी में समाप्त होगी. हालांकि, सभी उपासक 14 नवंबर को ही वाराणसी में जमा हुए थे व 15 को सारनाथ व 16 को बोधगया पहुंचे थे.
इससे पहले ग्यालवंग द्रुपका के नेतृत्व में रविवार को महाबोधि मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना हुई व विश्व शांति के लिए प्रार्थना की गयी. इस तीर्थयात्रा में राज्य पर्यटन विभाग भी सहयोग कर रहा है. मौके पर पर्यटन विभाग, बोधगया स्थित सूचना केंद्र के अधिकारी अजय कुमार भी मौजूद थे.