गया: हे जगत माता मेरी सभी भूलों को नजरअंदाज करके अपनी कृपा बरसा दो, भले ही लाख बुराइयां मुझ में हों, पर मैं भी तो आपका लाल ही हूं ना, आप चाहोगी तो मैं इससे मुक्ति पा लूंगा. ऐसी ही कामनाओं को लेकर शनिवार से लोगों ने आदि शक्ति स्वरूप की आराधना शुरू कर दी है. शारदीय नवरात्र के पहले दिन सुबह से ही मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा. शक्ति की भक्ति में कई श्रद्धालु अपने घर में भी कलश स्थापित कर व्रत कासंकल्प लिया.
सुबह कलश स्थापना के लिए भक्तों ने उतर मानस व ब्रह्ना सरोवर से कलश में जल लाया व पुरोहित के वेद मंत्रों पर पंडालों व घरों में कलश स्थापित किये गये. श्रद्धा व उत्साह के साथ शुरू हुई प्रथम स्वरूप शैल पुत्री की पूजा-अर्चना, भक्त कीर्तन व देवी आरती के स्वर चारों ओर गूंजते रहे. देवी मां के जयकारे, वातावरण में धूप, दीप, अगरबत्ती व कपूर की सुगंध धुल गयी है.
शहर के प्रमुख देवी मंदिरों आदि शक्तिपीठ मां मंगलागौरी मंदिर, शीतला मंदिर (पितामेहश्वर) बग्ला देवी मंदिर (बग्ला स्थान), बागीश्वरी देवी मंदिर (बागेश्वरी), संकटा देवी मंदिर (लखनपुरा), कामाख्या देवी मंदिर (विष्णुपद मार्ग), दुर्गा मंदिर (रेलवे स्टेशन रोड), दु:खहरणी काली मंदिर (कालीबाड़ी), दुर्गा मंदिर (दुर्गाबाड़ी), प्रसिद्ध देवी मंदिर (गोसाईबाग ), आनंदी माई मंदिर (पीपरपांती मोड़), काली मंदिर (किरण सिनेमा के पास), सहित मानपुर के पटवा टोली स्थित दुर्गा मंदिर में नवरात्र को लेकर श्रद्धालुओं ने मन की मुराद पूरी करने के लिए माथा टेका.
कई मंदिरों के कपाट खुलाने से पहले ही भक्तजन दर्शन के लिए हाथों में नारियल व चुनरी लेकर कतारबद्ध हो गये थे. इसमें महिलाओं की संख्या सबसे अधिक थी. मां दुर्गा के स्वागत के लिए शहर के दर्जनों पूजा समितियों ने पंडालों में पुरोहितों की मौजूदगी में कलश स्थापित की व मां की आरती की गयी. देवी मंदिरों में विशेष रूप से साफ-सफाई नजर आ रही थी. घर-घर में भी मां जगदंबे की आराधना के लिए मंडप सजाये गये. माता की पूजा-अर्चना करने के लिए आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी भी खूब हुई. आदि शक्ति मां दुर्गा पाठ के लिए संबंधित पुस्तकें व धूप, लौंग-इलायची के अलावा नारियल, पान-सुपारी की दुकानों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही. भगवती देवी मंदिरों को फूल की मालाओं व बिजली की झालरों की भव्य सजावट जगमगाती रही.