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. तो दूसरे एयरपोर्ट पर भेजे जायेंगे विमान
बोधगया: गया एयरपोर्ट पर नाइट लैंडिंग की सुविधा बंद होने से आगामी 18 सितंबर से प्रस्तावित हज यात्र के दौरान विशेष परिस्थितियों में हज यात्रियों को दिक्कत हो सकती है. किसी कारण विमानों के विलंब होने पर अंधेरा होने के बाद उन्हें रनवे पर लैंड कराना मुश्किल हो जायेगा. विमानों को दूसरे एयरपोर्ट पर भी […]
बोधगया: गया एयरपोर्ट पर नाइट लैंडिंग की सुविधा बंद होने से आगामी 18 सितंबर से प्रस्तावित हज यात्र के दौरान विशेष परिस्थितियों में हज यात्रियों को दिक्कत हो सकती है. किसी कारण विमानों के विलंब होने पर अंधेरा होने के बाद उन्हें रनवे पर लैंड कराना मुश्किल हो जायेगा. विमानों को दूसरे एयरपोर्ट पर भी भेजना पड़ सकता है. इसके अलावा अगस्त से शुरू होनेवाले मिहिन लंका एयरवेज व अन्य देशों से आवाजाही करनेवाले विमानों के लिए भी महंगा पड़ सकता है. गौरतलब है कि हज यात्रियों के लिए हर दिन दो विमानों की व्यवस्था की जाती है.
सिगनल उपकरणों की हो गयी चोरी : गया एयरपोर्ट कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, नाइट लैंडिंग के लिए गया क्षेत्र की पहाड़ियों पर पांच सिगनल लाइटें लगायी गयी थीं. इनमें ढ़ूंगेश्वरी पहाड़ी पर दो लाइटें लगी हैं. इनमें से एक सिगनल लाइट के उपकरणों की चोरी हो गयी. इसके बाद रात में सिगनल (बल्ब जलना) मिलना बंद हो गया. एयरपोर्ट के एक अधिकारी ने बताया कि पहले भी सिगनल टावरों की बैटरी चोरी हो चुकी है. अन्य उपकरणों के साथ टावर को चालू कराने में डेढ़ से दो लाख रुपये खर्च होते हैं. हालांकि, गया एयरपोर्ट पर नाइट लैंडिंग की सुविधा बहाल रखने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी एयरपोर्ट निदेशक को कहा था व उसके बाद फिर से यह सुविधा शुरू की गयी थी. यह भी कि नाइट लैंडिंग की सुविधा बंद रहने के कारण पिछले दिनों एयर इंडिया के दिल्ली-गया विमान में खराबी आने के बाद रात में दूसरा विमान गया एयरपोर्ट तक नहीं पहुंच सका था और यात्रियों को होटलों में ठहराया गया था. अगले दिन पटना-दिल्ली विमान को वाया गया होकर दिल्ली के लिए रवाना करना पड़ा था.
मॉक ड्रिल से सुरक्षा का आकलन
एयरपोर्ट पर सुरक्षा की स्थिति का आकलन करने के नियमित अभ्यास के तहत सोमवार को मॉक ड्रिल की गयी. इसमें एयरपोर्ट की सुरक्षा में तैनात सीआइएसएफ के जवानों ने अलग-अलग टुकड़ियों में बंट कर टारगेट तक पहुंचने व विशेष परिस्थितियों से निबटने का अभ्यास. हालांकि, सुरक्षा के नजरिये से इसे काफी गोपनीय रखा गया था और कुछ देर के लिए एयरपोर्ट परिसर में आम विजिटर्स की आवाजाही रोक दी गयी थी. सीआइएसएफ के एक अधिकारी ने बताया कि मॉक ड्रिल रूटीन वर्क है. इसे एक अंतराल के बाद किया जाता है.
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