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बेटियों ने निभाया संतान धर्म

गया: हर मानव में कुछ न कुछ अच्छाइयां होती हैं. बस जरूरत है उसे पहचानने व उससे सीख लेने की. जिस व्यक्ति में दूसरे की अच्छाई से सीख लेने की प्रवृत्ति पैदा हो जायेगी. वह निश्चित रूप से दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ेगा, उसे प्रगति पथ पर आगे बढ़ने में कोई नहीं रोक सकता. […]

गया: हर मानव में कुछ न कुछ अच्छाइयां होती हैं. बस जरूरत है उसे पहचानने व उससे सीख लेने की. जिस व्यक्ति में दूसरे की अच्छाई से सीख लेने की प्रवृत्ति पैदा हो जायेगी. वह निश्चित रूप से दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ेगा, उसे प्रगति पथ पर आगे बढ़ने में कोई नहीं रोक सकता. अमृतसर के ठाकुरगंज की दो बहनें रानी विश्वास व मेधा विश्वास गयाजी की पितृपक्ष मेले श्रद्ध कर्म कर रही हैं.

दोनों 11 साल पहले सड़क दुर्घटना में सदा के लिए दुनिया छोड़ चुके पिता जोगी विश्वास की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान व तर्पण कर रही हैं. दो दिनी विधि-विधान करने मां जुतिका विश्वास के साथ आयी दोनों बहनें विभिन्न पिंड वेदियों पर संतान होने का फर्ज निभा रही हैं. पिता व पूर्वजों से प्रगति के पथ पर और आगे बढ़ाने की आशीर्वाद मांग रही हैं. शुरू से ही दूसरे से सीख लेने की प्रवृत्ति की धनी दोनों बहनें आज पहचान बना ली है. अमृतसर शहर में छात्र-छात्रओं की पहली पसंद बन गयी हैं.

गणित की हर सवालों का हल मिनटों में करती हैं. फिलहाल मैट्रिक से लेकर बीएससी व प्रतियोगिता परीक्षा में तैयारी करने वाले विद्यार्थियों की लंबी कतार इनके आवास पर लगी रहती है. लेकिन, दोनों बहनें खुद की पढ़ाई के लिए भी समय तय कर रखी हैं. रानी एमएसी व मेधा बीएससी द्वितीय वर्ग की छात्र भी है. मां जुतिका बताती हैं कि इनके पिता का बहुत अच्छा थोक कपड़ा का व्यापार चल रहा था. किसी चीज की कमी नहीं थी. दोनों बेटियां की हंसी में काफी अरमान देख रखे थे.

स्कूटर से 11 साल पहले एक रात दुकान से घर आने के निकले जरूर पर, आये दूसरे वाहन पर सदा के लिए आंखें बंद किये. तब से तीनों हंसना ही भूल गये. दुकान में ताले लग गये. घर चलना मुश्किल होने लगा. बावजूद इसके दोनों बहनों ने हौसला नहीं खोया. कहती हैं कि दोनों बहनों को घर पर एक विधवा शिक्षका पढ़ाती थी व मिले पैसे से अपने बच्चों पढ़ाने के लिए भेजती थी. अपनी शिक्षका को प्ररेणा बना कर अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए बच्चों को पढ़ाने में मेहनत करने लगी. छोटी मेधा बहुत तेज है. अब तो अपने वर्ग के विद्याथियों को भी पढ़ाती है. दो मंजिला मकान है. ऊपर रहते हैं, नीचे बच्चों को पढ़ाने का जाल बिछा दी है. मेधा कहती है कि पढ़ाई भी कर रहे हैं, दूसरे को पढ़ा रहे हैं, लेकिन पिता का जो लक्ष्य था, उसे पूरा करना है. अमृतसर में कपड़ों का सबसे बड़ा कारोबार हो, अब समय आ गया है. आशीर्वाद लेने के लिए गया जी आये हैं.

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