एक ही कुल के 26 सदस्य गयाजी में कर रहे पिंडदान
गया : अध्यात्म परिवार को जोड़ता है. शायद इसी वजह से आज भी धर्म व अध्यात्म के साथ कर्मकांड में लोगों की आस्था व विश्वास है. परिवार के लोग अलग–अलग जगहों पर नौकरी, व्यापार व अन्य कामकाज करते हैं, पर ऐसे अवसर पर एक साथ होकर कार्य निभाते हैं.
मेले के पहले दिन से विभिन्न वेदियों पर पिंडदान करने में जुटे हैं. 13 जोड़े दांपत्य (26 लोग) एक साथ बैठ कर अपने पुरखों का पिंडदान व तर्पण कर रहे थे. ओड़ीशा के बरगढ़ से गयाधाम पहुंचे लाठ परिवार के लोग 17 दिनों तक गयाजी में विभिन्न वेदियों पर अपने पितरों का श्राद्ध कार्य निबटा रहे हैं. परिवार के मुखिया दीन दयाल लाठ व पत्नी द्रोपदी देवी लाठ बड़े व्यवसायी हैं.
उनका सूत का बड़ा कारोबार है. बताते हैं कि 1996 में उनके पिता दुर्गा प्रसाद जी लाठ पिंडदान करने आये थे. वे पहली बार गयाजी आये हैं. यहां उनके पंडाजी विनोद लाल भइया हैं. राकेश कुमार शास्त्री उन्हें विधि–विधान के साथ अपने आचार्यत्व में पिंडदान करा रहे हैं. दीन दयाल बताते हैं पितरों की ऐसी कृपा कि सभी को जोड़कर एकसाथ हमें गयाजी भेज दिया. मुझे इस बात की खुशी है कि हम साथ हैं.