डॉ अहसन ने कहा कि जिले का प्रमुख अस्पताल होने के नाते यदा-कदा छोटे-मोटे विवादों का सामना जरूर करना पड़ा. लेकिन, कभी कोई वैसा बड़ा विवाद नहीं हुआ, जिससे की अस्पताल या उनकी मर्यादा की गरिमा को ठेस पहुंचे. मैन पावर की कमी होने के बावजूद डॉक्टरों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों से वह मिला-जुला कर काम लेते रहे. शायद ही कभी ऐसा मौका आया हो, जब कर्मचारियों ने अस्पताल प्रशासन के विरोध में मोरचा खोला हो. उन्होंने कहा कि सितंबर 2013 में तत्कालीन मेयर विभा देवी, उनके पति व अन्य लोगों द्वारा अस्पताल के एक डॉक्टर के साथ मारपीट की घटना में भी धैर्य से काम लिया. अस्पताल की विधि-व्यवस्था बनाये रखने के लिए, जो कुछ भी करना चाहिए था, बखूबी किया.
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जेपीएन अस्पताल: उपाधीक्षक हुए रिटायर, पांच वर्षो तक रहे इस पद पर जिला यक्ष्मा पदाधिकारी को कमान
गया: जयप्रकाश नारायण (जेपीएन) अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एचजेड अहसन रविवार को रिटायर हो गये. सोमवार को अस्पताल के सभागार में समारोह आयोजित कर उन्हें सम्मानपूर्वक विदाई दी जायेगी. इधर, सिविल सजर्न ने जिला यक्ष्मा पदाधिकारी (डीटीओ) डॉ विजय कुमार को अस्पताल की कमान सौंपी है. जेपीएन अस्पताल (पिलग्रिम अस्पताल) में डॉ एसजेड अहसन की […]
गया: जयप्रकाश नारायण (जेपीएन) अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एचजेड अहसन रविवार को रिटायर हो गये. सोमवार को अस्पताल के सभागार में समारोह आयोजित कर उन्हें सम्मानपूर्वक विदाई दी जायेगी. इधर, सिविल सजर्न ने जिला यक्ष्मा पदाधिकारी (डीटीओ) डॉ विजय कुमार को अस्पताल की कमान सौंपी है.
जेपीएन अस्पताल (पिलग्रिम अस्पताल) में डॉ एसजेड अहसन की पोस्टिंग जुलाई 2008 में हुई थी. जुलाई 2010 में उन्हें प्रभारी उपाधीक्षक के रूप में अस्पताल की कमान सौंपी गयी. बाद में डॉ अहसन कार्य कौशल को देखते हुए इस पद पर उनकी स्थायी पोस्टिंग कर दी गयी. अपनी कार्य कुशलता के बल पर लगातार पांच वर्षो तक डॉ अहसन अस्पताल उपाधीक्षक बने रहे. इस बीच उन्हें कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन, घबराने की बजाय तटस्थ रह कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहे.
डॉ अहसन ने बताया कि अस्पताल में आने वाले हर मरीज का ख्याल रखना उनके कर्तव्यों में शामिल था. शायद यही कारण है कि उन्हें कभी आम आदमी के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा. उन्होंने बताया कि मारपीट की छोटी-बड़ी सभी घटनाओं में पक्ष व विपक्ष में इंज्यूरी लिखने के लिए काफी राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ा, लेकिन, तटस्थ रह कर अपना काम करता रहा. वैसे भी सभी को एक साथ संतुष्ट करना संभव नहीं है
नये उपाधीक्षक के सामने कई चुनौतियां
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी (डीटीओ) डॉ विजय कुमार जुलाई 2007 से ही गया में पदस्थापित हैं. जेपीएन अस्पताल उपाधीक्षक की बागडोर संभालने में उन्हें कोई खास परेशानी तो नहीं होगी, लेकिन मैनपावर कम होने के कारण कर्मचारियों व डॉक्टरों के बीच समन्वय स्थापित कर उनसे काम लेना बड़ी चुनौती होगी. अस्पताल की विधि-व्यवस्था बनाये रखने के साथ आम मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवा मुहैया कराना भी आसान नहीं होगा. अच्छे-बुरे कर्मचारियों की पहचान कर जिम्मेवारी सौंपना भी चुनौती होगी, ताकि उनकी बदनामी न हो और चिकित्सा सेवा पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव भी न पड़े. पुलिस के मामलों में ईमानदारी से इंज्यूरी रिपोर्ट लिखना भी बड़ी चुनौती होगी.
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