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. तो होगी फजीहत !

बोधगया: अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए गयाजी आने वाले पिंडदानियों को इस साल महाबोधि मंदिर परिसर में पिंडदान करने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. बोधगया में बम ब्लास्ट के बाद से महाबोधि मंदिर की बढ़ी हुई सुरक्षा के मद्देनजर मंदिर में प्रवेश करने से पहले तीर्थयात्रियों को कई स्थानों […]

बोधगया: अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए गयाजी आने वाले पिंडदानियों को इस साल महाबोधि मंदिर परिसर में पिंडदान करने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. बोधगया में बम ब्लास्ट के बाद से महाबोधि मंदिर की बढ़ी हुई सुरक्षा के मद्देनजर मंदिर में प्रवेश करने से पहले तीर्थयात्रियों को कई स्थानों पर जांच से गुजरना पड़ रहा है. मंदिर के बाहरी प्रवेश द्वार से लेकर मुख्य द्वार तक मेटल डिटेक्टर सहित सुरक्षा बलों द्वारा भी जांच की जाती है. पूजन सामग्री के अलावा साथ अतिरिक्त सामान को मंदिर परिसर में प्रवेश निषेध है. सुरक्षा में तैनात बीएमपी व बिहार पुलिस के जवानों द्वारा इन बातों पर चौकसी बरती जा रही है.

लौटने की जल्दबाजी
पिंडदान के लिए देश के विभिन्न प्रांतों से आने वाले लोगों को कम समय में लौटने की जल्दबाजी भी होती है. पिंडदानी एक ही दिन में धर्मारण्य, सरस्वती, मातंगवापि व महाबोधि मंदिर में पिंडदान कर वापस लौट जाते हैं. मान्यता के अनुसार, पिंडदान के बाद पिंडदानी बोधिवृक्ष का दर्शन करते हैं. ऐसा माना जाता है कि बोधिवृक्ष के दर्शन से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है. पितृपक्ष के दौरान एक दिन में पांच से दस हजार के करीब पिंडदानियों का आवगमन होता है. सभी पिंडदानियों के पास परिचय पत्र हो यह भी संभव नहीं है. ऐसे में सुरक्षा बलों द्वारा सभी पिंडदानियों की जांच करने में ज्यादा समय भी लगेगा. साथ ही पिछले दिनों बैधनाथ धाम से हरिद्वार की यात्र पर निकले कीर्तन मंडली को ढोलक, झाल आदी के साथ सुरक्षा बलों द्वारा मंदिर में प्रवेश नहीं होने दिया गया था. अब सवाल उठता है कि महाबोधि मंदिर परिसर में पिंडदान करने वाले तीर्थयात्रियों की सहूलियत को ध्यान में रख कर जांच के लिए कार्यबल को बढ़ाया जायेगा या फिर पिंडदान के लिए साथ रहे बरतन व सामग्री को प्रवेश मिलेगा या नहीं इस पर संशय है.

नहीं होगी परेशानी
बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (बीटीएमसी)के सचिव एन दोरजी ने कहा कि सुरक्षा के लिहाज से जांच तो की जायेगी, पर पिंडदानियों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाने की जिम्मेवारी बीटीएमसी की नहीं, बल्कि पुलिस विभाग की है.

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