रेलवे जंकशन से बरामद बाल श्रमिकों ने बयां किये दर्द
गया : चंद पैसों की लालच में अपनों द्वारा ही बच्चों का सौदा किया जाता है. गया जंकशन से बरामद किये गये छह बाल श्रमिकों के मामले में भी यही बात सामने आयी है. रविवार को रेस्क्यू जंकशन में इन बच्चों से बातचीत के दौरान कई चौंकाने वाली बातें सामने आयीं.
बच्चों ने बताया कि किस तरह उनके ही परिवार के सदस्यों ने उन्हें काम पर लगाने की रजामंदी दी. साथ ही पैसे कमाने व बड़ा आदमी बनने की चाहत बच्चों के दिमाग में भरा गया. शनिवार को गया जंकशन से नालंदा व जहानाबाद जिले के छह बाल श्रमिकों को एक दलाल के साथ पकड़ा गया था.
भाई के साले ने दिया था ऑफर
नालंदा जिले के रहने वाले नंदे कुमार, चंदन कुमार, अजय कुमार व टिंकू कुमार ने बताया कि नंदे के रिश्ते के भाई के साले ने ही उनके घर पर जाकर जयपुर में चूड़ी फैक्टरी में काम करने का ऑफर दिया था. एडवांस के रूप में परिजनों को तीन–तीन हजार रुपये भी दिये गये थे.
परिवार के सदस्यों ने भी बाहर जाकर काम करने की सहमति दी थी. इन चारों ने बताया कि गांव में और भी कई उनके दोस्त हैं, जो दूसरे राज्यों में काम करते हैं. उन लड़कों के पास पैसे देख इन लोगों के मन में भी पैसे कमाने की इच्छा जागी.
मां ने कहा–’जा कर कमाओ’
जहानाबाद जिले के मुकेश व लक्ष्मण ने बताया कि उन्हें तो उनकीमां ने ही बाहर जाकर काम करने की सलाह दी थी. बच्चों ने बताया कि चूड़ी फैक्टरी में काम करने का ऑफर मिलने पर मां–बाप में काम पर जाने को कह दिया. मुकेश गांव में भैंस चराने का काम करता था, तो लक्ष्मण गांव में ही पढ़ाई.
पर, मां–बाप को उनके भविष्य से अधिक चिंता पैसों की थी. रेस्क्यू जंकशन की समन्वयक सुनीता शर्मा बताती हैं कि अधिकांश मामले में रिश्तेदार और माता–पिता की ही रजामंदी सामने आती है. इन बच्चों को उनके परिवार को सौंपे जाने के बाद लगातार मॉनीटरिंग होती है. साथ ही उनके माता पिता से बांड भरवाया जाता है. इसके तहत बच्चों को काम पर भेजने पर माता–पिता पर सजा का प्रावधान है.