बोधगया: मगध विश्वविद्यालय (एमयू) में गुरुवार से तीन दिवसीय इंटरनेशनल जियोग्रफी कॉन्फ्रेंस शुरू हो गयी. इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि जामिया मिलिया इसलामिया, नयी दिल्ली, के कुलपति प्रो तलत अहमद, जापान की हिरोशिमा यूनिवर्सिटी के प्रो काजुओ तोमोजावा, एमयू के कुलपति प्रो एम इश्तियाक, बिहार सरकार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय, सालोन (हिमाचल प्रदेश) के कुलपति प्रो एसपी बंसल, नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो रास बिहारी सिंह, डेक्कन जियोग्रफिकल सोसाइटी (डीजीएसआइ), पुणो, के महासचिव प्रो बीसी वैद्य आदि ने दीप जला कर किया. टूरिज्म, इन्वायरन्मेंट एंड डेवलपमेंट विषय पर आधारित कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए जामिया मिलिया इसलामिया के कुलपति (वीसी) ने कहा कि बिहार में इको टूरिज्म की असीम संभावनाएं हैं.
यहां बोधगया व राजगीर समेत कई ऐसे स्थल हैं, जिसे पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जा सकता है. उन्होंने पर्यटन स्थलों के विकास के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा पर भी बल दिया. प्रो अहमद ने कहा कि कॉन्फ्रेंस में शामिल हो रहे भूगोलवेत्ता बिहार के विकास पर भी चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यहां के पर्यटन स्थलों के विकास व पर्यावरण की रक्षा के प्रति गंभीर हैं. प्रो अहमद के संबोधन से पहले बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि हाल के वर्षो में गोवा से भी ज्यादा विदेशी पर्यटक बिहार आने लगे हैं. उन्होंने बोधगया व राजगीर की प्राकृतिक छटा व घोरा-कटोरा की चर्चा करते हुए कहा कि पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए राजगीर में टमटम की सवारी को बढ़ावा दिया जा रहा है.
उन्होंने भूगोलवेत्ताओं से पर्यावरण की रक्षा व गांवों के विकास में योगदान करने की अपील की. इस दौरान मुख्य सचिव को डीजीएसआइ द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया. उल्लेखनीय है कि मुख्य सचिव भूगोल के छात्र रहे हैं. एमयू के कुलपति प्रो एम इश्तियाक ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि एमयू सूबे की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी है. मुख्य सचिव एमयू के विकास पर ध्यान दें.
कॉन्फ्रेंस को वर्तमान समय के लिए प्रासंगिक बताते हुए वीसी ने कहा कि भारत में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं. पर्यटन स्थलों को इको फ्रेंडली बना कर इस इंडस्ट्री को और व्यापक किया जा सकता है. उन्होंने पर्यावरण की सुरक्षा के साथ पर्यटन स्थलों के विकास पर बल दिया. साथ ही, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कारक यथा, जंगलों की कटाई, कीटनाशक व रासायनिक खाद का प्रयोग पर नियंत्रण करने पर बल दिया. उन्होंने इसके परिणामस्वरूप अनियमित बारिश व ग्लेशियरों को पिघलना बताया. कुलपति ने कहा कि पर्यटन स्थलों के विकास में पर्यावरण की सुरक्षा व भूमिका को लेकर यहां आयोजित तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में चर्चा की जायेगी. कॉन्फ्रेंस के कंवेनर प्रो अशोक कुमार सिन्हा ने विषय वस्तु से अवगत कराया. इस दौरान आगत अतिथियों को बुके व शॉल भेंट कर सम्मानित किया गया. कॉन्फ्रेंस का समापन शनिवार को होगा. कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश से करीब 400 भूगोलवेत्ता व शोधार्थी शामिल हो रहे हैं.