उनके अनुसार, व्यापारियों के हाथों तिलकुट 120 से 150 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिका है. खुदरा बाजार में इसकी कीमत इस वर्ष 200 से 220 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच रही. अगर औसतन 150 रुपये प्रति किलो की दर से तिलकुट के दैनिक कारोबार का हिसाब लगाया जाये, तो यह लगभग 15 लाख रुपये के करीब पहुंचता है. अर्थात कहा जा सकता है कि यहां तिलकुट का मासिक व्यवसाय करीब 4.5 करोड़ रुपये का है. हालांकि ऐसा तभी संभव है, जब जाड़े के दिनों में ठंड पूरी हो. दरअसल, तिल के बारे में माना जाता है कि वह अत्यधिक ठंड से शरीर की रक्षा करता है. इसी वजह से मुख्य रूप से तिलकुट के कारोबार को शीतकालीन व्यवसाय माना जाता है.
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इस वर्ष गया में बढ़िया रहा तिलकुट का कारोबार
गया: भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली के रूप में विख्यात दुनिया भर के हिंदुओं का मोक्षधाम गया तिलकुट जैसे स्वादिष्ट मिष्टान्न के लिए भी प्रसिद्ध है. मुख्य से रूप से जाड़े के दिनों में हर वर्ष यहां बड़े पैमाने पर तिलकुट का कारोबार होता है. जब-जब ठंड अधिक पड़ती है, कारोबार में न केवल तेजी आती […]
गया: भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली के रूप में विख्यात दुनिया भर के हिंदुओं का मोक्षधाम गया तिलकुट जैसे स्वादिष्ट मिष्टान्न के लिए भी प्रसिद्ध है. मुख्य से रूप से जाड़े के दिनों में हर वर्ष यहां बड़े पैमाने पर तिलकुट का कारोबार होता है. जब-जब ठंड अधिक पड़ती है, कारोबार में न केवल तेजी आती है, बल्कि बिजनेस का आकार भी बड़ा होता है. इस वर्ष भी ठंड के असर ने तिलकुट के बाजार को काफी बल दिया है. हर रोज गया के बाजार में करीब 15 लाख रुपये से अधिक के तिलकुट बिके.
गया में तिलकुट का कारोबार सैकड़ों वर्ष पुराना है. तिलकुट व्यवसायी संघ के अध्यक्ष लालजी प्रसाद के मुताबिक, तिलकुट और गया में अन्योन्याश्रय संबंध हैं. इसी वजह से गया के बाहर पटना और कोलकाता के अतिरिक्त दूसरे बड़े शहरों में भी गया के नाम से ही तिलकुट बिकता है. गया में इसके कारोबार के बारे में श्री प्रसाद ने बताया कि इस वर्ष रोजाना करीब 10000 किलोग्राम तिलकुट का औसत कारोबार रहा है.
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