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खस्ताहाल शिक्षा: जीबीएम कॉलेज की नहीं है बिल्डिंग खतरे में पड़ा अस्तित्व !

गया: मगध विश्वविद्यालय का गया में एकमात्र अंगीभूत गौतम बुद्ध महिला कॉलेज (जीबीएम कॉलेज) का अस्तित्व खतरे में पड़ता दिखाई दे रहा है. 1953 में स्थापित इस कॉलेज की अब तक अपनी बिल्डिंग नहीं है. किराये के मकान में कॉलेज चल रहा है. प्रधानाचार्य डॉ सत्येंद्र प्रजापति ने बताया कि अपनी बिल्डिंग नहीं होने के […]

गया: मगध विश्वविद्यालय का गया में एकमात्र अंगीभूत गौतम बुद्ध महिला कॉलेज (जीबीएम कॉलेज) का अस्तित्व खतरे में पड़ता दिखाई दे रहा है. 1953 में स्थापित इस कॉलेज की अब तक अपनी बिल्डिंग नहीं है. किराये के मकान में कॉलेज चल रहा है. प्रधानाचार्य डॉ सत्येंद्र प्रजापति ने बताया कि अपनी बिल्डिंग नहीं होने के कारण कॉलेज को नैक की मान्यता नहीं मिल पा रही है.

ऐसी परिस्थिति में यूजीसी भी अनुदान देने में आनाकानी कर रहा है. यूजीसी ने पत्र भेज कर कहा है कि जब तक कॉलेज की बिल्डिंग नहीं बन जाती, आगे अनुदान नहीं दिया जा सकता है. हालांकि, उन्होंने यूजीसी से गल्र्स हॉस्टल के लिए 80 लाख रुपये की मांग की है. उम्मीद है कि जल्द पैसा मिल जायेगा.

उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास विभाग, बिहार सरकार के निदेशक से मिल कर पत्र देकर एक करोड़ 80 लाख रुपये बिल्डिंग के लिए मांगा गया है. उम्मीद है यह पैसा भी जल्द ही मिल जायेगा. इसके बाद भवन का काम शुरू हो जायेगा. हालांकि, यह पैसा बिल्डिंग के लिए पर्याप्त नहीं होगा. पूर्व के प्रधानाचार्य डॉ नलिनी राठौर ने मानव संसाधन विभाग को पत्र लिख कर पांच करोड़ रुपये की मांग की थी. लेकिन, उसके जवाब में विभाग से न कोई चिट्ठी आयी न ही पैसा.
स्वीकृत पद से एक तिहाई कम शिक्षक
कॉलेज में शिक्षकों का घोर अभाव है. ऐसे में बेहतर पढ़ाई की बात बेमानी साबित हो रही है. कॉलेज में शिक्षकों के 49 स्वीकृत पद हैं, लेकिन महज 18 शिक्षक ही कार्यरत हैं. होम साइंस, दर्शनशास्त्र, संस्कृत, भौतिकी व बॉटनी विषय में एक भी शिक्षक नहीं हैं. वहीं, हिंदी में चार की जगह एक, अंगरेजी में चार की जगह तीन, जूलॉजी में दो की जगह एक, उर्दू में तीन की जगह दो, इतिहास में चार की जगह दो, राजनीतिशास्त्र में चार की जगह तीन, मनोविज्ञान में पांच में दो, अर्थशास्त्र में तीन की जगह एक शिक्षक कार्यरत हैं. वहीं, केमेस्ट्री में दो व संगीत में एक शिक्षक ही कार्यरत हैं.
इसके अलावा एक प्रधानाचार्य भी कार्यरत हैं. नन टीचिंग स्टाफ में स्वीकृत 17 पदों में 15 कार्यरत हैं. चतुर्थवर्गीय कर्मचारी 23 की जगह 11 ही हैं. कॉलेज में साइंस व आर्ट्स की पढ़ाई होती है. इसके अलावा वर्ष 2011 में वोकेशनल कोर्स में बीसीए व बीबीएम की पढ़ाई शुरू की गयी है. जगह के अभाव में स्नाकोत्तर की पढ़ाई के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं लिया जा रहा है.
छात्राओं की अधिक संख्या के कारण दो शिफ्ट में पढ़ाई करायी जाती है. साइंस की पढ़ाई सुबह आठ से एक बजे दिन तक व आर्ट्स की पढ़ाई सुबह 10 बजे से शाम पौने पांच बजे तक की जाती है. यहां इंटर में 1458 छात्राएं व ग्रेजुएशन तक करीब साढ़े तीन हजार छात्रएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं.
कॉलेज में सुविधाएं
फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी, बॉटनी, जूलॉजी, होम साइंस, साइकोलॉजी की लेबोरेटरी हैं. उपकरण भी हैं, पर लैब टेक्नीशियन की कमी है. पुस्तकालय में 25000 पुस्तकें हैं. लेकिन, जगह के अभाव में किताबें यूं हीं बिखरी पड़ी हैं. अलमारी में किताबें रखने की जगह नहीं है. लाइब्रेरियन डॉ कौसर सुल्ताना व सहायक रेणु सिंह ने बताया कि सीढ़ी के नीचे व टीचर रूम में कई अलमारी रखी गयी हैं. कॉलेज में कॉमन रूम है. पानी, बिजली व जेनेरेटर की भी सुविधा है. यहां एनएसएस भी है.
नहीं हैं सुविधाएं : गल्र्स हॉस्टल, पार्किग, गार्डेन, खेल का मैदान व शौचालय.

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