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बिहार के विकास बने सेना में ऑफिसर

गया : पिताजी छुट्टी पर जब आते, तो कहते नौकरी सेना की ही करना और ऑफिसर बनना. आज उनकी इच्छा पूरी कर बड़ी खुशी हो रही है. घर में सभी यही चाहते थे. मैं अकेला बेटा हूं. पिताजी भी सेना में एक सिपाही से कैप्टन तक की नौकरी कर सेवानिवृत्त हुए हैं. यह कहना था […]

गया : पिताजी छुट्टी पर जब आते, तो कहते नौकरी सेना की ही करना और ऑफिसर बनना. आज उनकी इच्छा पूरी कर बड़ी खुशी हो रही है. घर में सभी यही चाहते थे. मैं अकेला बेटा हूं. पिताजी भी सेना में एक सिपाही से कैप्टन तक की नौकरी कर सेवानिवृत्त हुए हैं.

यह कहना था आरा जिले के अगिआंव बाजार के पास खननीकला गांव के सत्येंद्र कुमार सिंह के पुत्र विकास कुमार सिंह का. ओटीए में ट्रेनिंग पाकर अब वह लेफ्टिनेंट बन गया है. ओटीए में ट्रेनिंग लेनेवालों में बिहार के एकमात्र इस जवान का कहना है कि अपने राज्य की धरती पर देश की गौरवशाली ओटीए खुली है. बावजूद इसके अपने राज्य के लड़के यहां कमीशन की तैयारी न कर नौकरी पाने के पीछे भागे फिर रहे हैं. हमें अच्छा अवसर मिला है. इसका लाभ लेना चाहिए.

मैं मद्रास आर्मी में जा रहा हूं. पिता सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा कि वह 2008 में रिटायर्ड हुए थे. बेटे को सेना में ऑफिसर के रूप में देखने की दिली इच्छा थी, आज पूरी हुई. दादी ललिता देवी व दादा जगदीश नारायण ने बताया कि विकास पढ़ने में कमजोर था, लेकिन बाद में उसमें सुधार आया. बड़ी खुशी हुई. एक और बेटा होता, तो उसे भी देश सेवा में ही भेजते.

* 128 ट्रेनीज में बिहार का एकमात्र था विकास कुमार सिंह

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