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कुत्तों के खौफ के साये में शहर

गया: शहर में आवारा कुत्ते, आतंक, रास्ते भी बदलने पर कर देते हैं विवश. अगर रात में घर से निकलें या फिर घर जायें, तो अपनी जिम्मेवारी पर जायें, क्योंकि हर गली-मुहल्ले से लेकर सड़कों पर आपके सफर मुश्किल करने के लिए कई कुत्ते होंगे. शहर इन दिनों आवारा कुत्तों से त्रस्त है. रात होते […]

गया: शहर में आवारा कुत्ते, आतंक, रास्ते भी बदलने पर कर देते हैं विवश. अगर रात में घर से निकलें या फिर घर जायें, तो अपनी जिम्मेवारी पर जायें, क्योंकि हर गली-मुहल्ले से लेकर सड़कों पर आपके सफर मुश्किल करने के लिए कई कुत्ते होंगे.

शहर इन दिनों आवारा कुत्तों से त्रस्त है. रात होते ही सड़क पर कुत्तों की फौज जमा हो जाती है, जो कभी, किसी भी व्यक्ति पर हमला कर देती है. पशुपालन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें, तो जिले में करीब 40 हजार व गया शहर में करीब 10 हजार आवारा कुत्ते हैं, जिन्होंने अपने खौफ से लोगों को आतंकित कर रखा है.

आतंक का आलम यह है कि हर साल मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तीन हजार कुत्तों के काटने के मरीज आते हैं. यह आंकड़ा लोगों की परेशानी का आईना है. इन कुत्तों से मुक्ति दिलाने की जिम्मेवारी नगर निगम पर है, लेकिन वह तमाशबीन बना हुआ है. पूछने पर निगम संसाधन नहीं होने का हवाला देकर अपनी ड्यूटी पूरी कर लेता है. कुत्तों को पकड़ने व स्टरलाइजेशन के लिए कोई कदम उठता नहीं दिख रहा.

समूह में रहते हैं आवारा कुत्ते
एपी कॉलोनी निवासी सुरेश प्रसाद सिंह बताते हैं कि पिछले माह वह अपने दोस्त से मिल कर रात करीब 10 बजे घर लौट रहे थे. इस दौरान कॉलोनी की मुख्य सड़क पर करीब 15-16 कुत्ते स्कूटर के पीछे दौड़ पड़े. वह डर कर गिर पड़े.

उन्हें गंभीर चोटें आयीं. रामपुर इलाके में रहने वाले पांचवीं कक्षा के छात्र रोहन को पिछले हफ्ते कुत्तों ने नोच कर घायल कर दिया. रोहन की असावधानी बस इतनी थी कि वह दुकान से कुछ खरीद कर घर की ओर दौड़ते हुए जा रहा था. ऐसी घटना सिर्फ सुरेश सिंह व रोहण के साथ ही नहीं हुई है, बल्कि हर रोज शहर के कई इलाकों में लोग कुत्तों के शिकार हो रहे हैं. सड़क के किनारे झुंड में बैठे कुत्ते कभी हमला कर देते हैं.

मगध मेडिकल कॉलेज से मिली रिपोर्ट के अनुसार, हर साल कुत्तों काटने के लगभग तीन हजार मरीज अस्पताल पहुंचते हैं. इनमें ज्यादातर शहरी इलाके के ही होते हैं. यह आंकड़ा सिर्फ मेडिकल कॉलेज का है. इसके अलावा प्राइवेट क्लिनिक में भी लोग अपना इलाज कराते हैं. हालांकि, अस्पतालों से मिली रिपोर्ट के अनुसार लगभग सभी जगहों पर एंटी रैबीज वैक्सीन उपलब्ध है. मेडिकल कॉलेज के पीएसएम डिपार्टमेंट के डॉ चितरंजन शर्मा बताते हैं कि कुत्ते के काटने के बाद तुरंत जख्म को साफ पानी से धोकर वहां एंटी सेप्टिक लोशन का प्रयोग करना चाहिए. सात दिनों के अंदर वैक्सीन ले लेना चाहिए.

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