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स्कूलों में ठहरते हैं पिंडदानी, निगम के करोड़ों के भवन रहते हैं खाली

गया : आगामी 12 सितंबर से विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला शुरू हो रहा है. पितृपक्ष मेले में देश व दुनिया से आनेवाले पिंडदानियों के लिए आवासन स्थल के नाम पर बड़ी संख्या में सरकारी स्कूल चिह्नित किये गये हैं. जहां बड़ी संख्या में पिंडदानी ठहरेंगे. अचरज की बात है कि निगम की खुद की करोड़ों […]

गया : आगामी 12 सितंबर से विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला शुरू हो रहा है. पितृपक्ष मेले में देश व दुनिया से आनेवाले पिंडदानियों के लिए आवासन स्थल के नाम पर बड़ी संख्या में सरकारी स्कूल चिह्नित किये गये हैं. जहां बड़ी संख्या में पिंडदानी ठहरेंगे.

अचरज की बात है कि निगम की खुद की करोड़ों रुपये की जगह होने के बावजूद जिला प्रशासन द्वारा स्कूलों में पिंडदानियों को ठहराने का लंबे समय से खेल चल रहा है. पितृपक्ष के दौरान स्कूलों में पठन-पाठन को बंद करा कर आैर अपनी जगह को खाली छोड़ कर आवासन का चयन किया जाना जिला प्रशासन की मंशा पर सवाल उठाता है.
शहर के अंदर करोड़ों रुपये के सरकारी भवन हर वर्ष खाली रहते हैं, जहां पितृपक्ष के समय पिंडदानियों को ठहराया जा सकता है. लेकिन, न तो नगर निगम और न ही जिला प्रशासन इस ओर ध्यान देता है. जबकि बीते एक दशक से निगम के खुद के भवन जो खाली पड़े हैं उसमें पिंडदानियों को ठहराने पर जिलास्तरीय अधिकारियों के बीच चर्चा होती है, पर वह धरातल पर अब तक नहीं उतरी है. गौरतलब है कि इस बार प्रशासन ने 51 सरकारी स्कूलों को आवासन स्थल बनाया है.
जवाहर टाउन हॉल
केदारनाथ मार्केट से सटा जवाहर टाउन हॉल. करोड़ों रुपये की लागत से बना यह हॉल सिर्फ शो पीस बन कर रह गया है. जबकि यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन को बढ़ावा देना इसके निर्माण का मकसद था. लेकिन, यहां शुरू में कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रमों को छोड़ यह हॉल लंबे समय से बंद पड़ा है. जबकि इस हॉल में दो हजार से ज्यादा पिंडदानियों को ठहराया जा सकता है.
नगर निगम कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में यहां मैजिक शो को छोड़ एक भी कार्यक्रम नहीं हुआ है. जबकि ऐसे भवनों के जरिये निगम को लाखों रुपये का राजस्व हासिल हो सकता है. लेकिन, पिछले कई वर्षों से इसके जीर्णोद्धार को लेकर हवाई बातें चली आ रही हैं.
यहां-वहां भटकते रहते हैं पिंडदानी
पितृपक्ष मेले के समय बड़ी संख्या में ऐसे भी पिंडदानी रहते हैं, जो आवासन स्थल में नहीं ठहर पाते. वैसे पिंडदानी शहर में अलग-अलग जगहों पर दिखते हैं. जबकि जवाहर टाउन हॉल व इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम हर पितृपक्ष के समय खाली रहते हैं. कई बार ऐसा भी देखा गया है कि ऐसे पिंडदानियों के साथ घटना भी घट गयी है. बावजूद इसके जिला प्रशासन को आवासन स्थलों के तौर पर इन दोनों भवनों के इस्तेमाल की जरा भी सुध नहीं रहती है.
इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम
आशा सिंह मोड़ स्थित इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम. काफी बड़े क्षेत्र में फैले इस स्टेडियम का हाल भी बुरा है. हालांकि इसके जीर्णोद्धार को लेकर पिछले कुछ वर्षों से हवाई बातें हो रही हैं. इसका इस्तेमाल भी आवासन स्थल के तौर पर किया जा सकता है, लेकिन, ऐसा नहीं किया जाता.
जबकि यहां भी हजारों की संख्या में पिंडदानियों को ठहराया जा सकता है. इसके अलावा इंडाेर स्टेडियम के परिसर में काफी संख्या में गाड़ियां खड़ी की जा सकती हैं. नगर निगम कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यहां आवास योजना से संबंधित पासबुक वितरण कार्यक्रम के अलावा पिछले चार वर्षों से कोई कार्यक्रम नहीं हुआ है.
देवघाट पर उखड़ने लगा स्टील बीन
गया. विश्वप्रसिद्ध पितृपक्ष मेला के शुरू होने में अब ज्यादा दिन नहीं रह गया है. लेकिन, मेला शुरू होने से पहले ही नगर निगम की लापरवाही सामने अाने लगी है. देवघाट पर लगाये जा रहे स्टील बीन जगह-जगह से उखड़ने लगे हैं.
यहां करीब पांच से सात की संख्या में स्टील बीन लगाये गये थे, जिसमें तीन से चार स्टील बीन का उखड़ गये हैं. यह स्थिति तब है जब नगर निगम के प्रतिनिधि व अधिकारी इस दफा बेहतर व्यवस्था का दावा कर रहे हैं. हालांकि यह कोई पहला वाकया नहीं है जब नगर निगम प्रशासन की लापरवाही सामने आयी है.

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