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खत्म हो गयी मधुश्रवा, अब फल्गु की बारी!

गया: फल्गु के अस्तित्व रक्षा का सवाल अब ज्यादातर बुद्धिजीवियों के दिलों-दिमाग में कौंधने लगा है. यह न केवल मगध की जीवनरेखा है, बल्कि धर्म व संस्कृति से जुड़ी महत्वपूर्ण नदी है. बालू के ठेका व लूट की संस्कृति से फल्गु का अस्तित्व खतरे में लगता है. फल्गु के किनारे अतिक्रमण को लेकर वर्षो से […]

गया: फल्गु के अस्तित्व रक्षा का सवाल अब ज्यादातर बुद्धिजीवियों के दिलों-दिमाग में कौंधने लगा है. यह न केवल मगध की जीवनरेखा है, बल्कि धर्म व संस्कृति से जुड़ी महत्वपूर्ण नदी है. बालू के ठेका व लूट की संस्कृति से फल्गु का अस्तित्व खतरे में लगता है. फल्गु के किनारे अतिक्रमण को लेकर वर्षो से लोग आवाज उठा रहे हैं.

पर, ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो इसे दबाने के लिए दम लगा रहे हों. सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि अब घाटों पर सरकारी प्रयास के जरिये पक्के प्लेटफॉर्म बना कर अतिक्रमण को वैधता देने का भी इंतजाम हो रहा है. बालू के उठाव से भी समस्या गहरा रही है. नदी का तल नीचे जा है. फल्गु के साथ जिस तरह का व्यवहार हो रहा है, उस पर चिंता जताते हुए पर्यावरणविद व सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि अब तो लगता है फल्गु का हश्र भी मधुश्रवा जैसा ही होगा.

फल्गु बचाओ पदयात्रा आज से
विश्व पर्यावरण दिवस पर इसे लेकर फल्गु बचाओ मोरचा बुधवार से डोभी प्रखंड के घोड़ाघाट से फल्गु बचाओ पदयात्रा शुरू कर रही है. यह पदयात्रा 15 जून को बराबर पहाड़ी पर जाकर समाप्त होगी. पहले दिन पदयात्री घोड़ाघाट से चल कर हरदवन, कोठवारा, मटनमोड़, अमारूत तक जायेंगे. अमारूत में रात्रि विश्रम करेंगे. छह को कंजियार, केशापी, निगरी होते बजौरा में रात्रि पड़ाव लेंगे. सात को जोलहबिगहा, करहरा, पीड़ासीन होकर लालगंज चंदा में रात्रि विश्रम करेंगे. आठ को लाडु से चलकर लक्ष्मीपुर डेमा, राजवर होते बोधगया के खजवती पहुंचकर रात्रि पड़ाव लेंगे.

नौ को शिवराजपुर होते बभनी के बाद मोचारिम में रात्रि विश्रम करेंगे. 10 को बोधगया, मनकोशी, भदेजी, देवघाट(विष्णुपद) पर रात्रि विश्रम करेंगे. 11 को गया में धर्मसभा में विचार गोष्ठी करेंगे. 12को छोटकी नवादा, कंडी, बिथोशरीफ तक्या जायेंगे. 13 जून को मंडई, पथरौरा भीनासपुर में रात्रि विश्रम करेंगे. 14 जून को सुंदरपुर के बाद श्रीपुर में रात्रि पड़ाव लेंगे फिर अंतिम दिन 15 जून को सुल्तानपुर, पातालगंगा के बाद बराबर पहाड़ पर जाकर पदयात्र पूरी होगी.

होंगी सभाएं, गोष्ठियां
पदयात्र के दौरान इसमें शामिल सदस्यों द्वारा जगह-जगह सभा, लोगों से मिल बैठ कर बातचीत, परिचर्चा व विचार गोष्ठी की जायेगी. इस यात्र का नेतृत्व जगत भूषण, चंद्रभूषण व कारू जी करेंगे. जगतभूषण बताते हैं कि 80 किलोमीटर की पदयात्र 11 दिनों में तय की जायगी.

फल्गु नदी की धारा अविरल बहे इसके लिए इस अभियान के मुद्दे मूल रूप से बालू का ठेका समाप्त करने, सतही संसाधन-जंगल के वनस्पति, पहाड़, नदी के बालू आदि साधनों पर ग्राम सभा का अधिकार हो, आहर-पइन के अतिक्रमण पर रोक लगाने, जल-जंगम-जमीन-पहाड़ को जनता के अधीन मानते हैं तथा इसका स्थानीय समुदाय को संरक्षण व संवर्धन का अधिकार सौंपने की मांग के साथ अन्य मांगों को लेकर पदयात्र की जा रही है. इसके लिए आम समर्थन जुटाने की मुहिम चलायी जा रही है.

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