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नालों की सफाई पर खर्च किये करोड़ों रुपये, फिर भी जलजमाव और गंदगी

गया : शहर के अंडरग्राउंड नालों की सफाई के लिए सालों भर 30 लेबर काम करते हैं. इसके साथ हर वर्ष बरसात से पहले नगर निगम की ओर से करोड़ों रुपये खर्च कर वार्डों में बड़े-छोटे नालों की सफाई करायी जाती है. इस बार भी नालों की सफाई पर करोड़ों खर्च किये गये, लेकिन थोड़ी […]

गया : शहर के अंडरग्राउंड नालों की सफाई के लिए सालों भर 30 लेबर काम करते हैं. इसके साथ हर वर्ष बरसात से पहले नगर निगम की ओर से करोड़ों रुपये खर्च कर वार्डों में बड़े-छोटे नालों की सफाई करायी जाती है. इस बार भी नालों की सफाई पर करोड़ों खर्च किये गये, लेकिन थोड़ी सी बारिश में शहर में जगह-जगह जलजमाव की स्थिति से निगम के सारे दावे को खोखले साबित हो रहे हैं.
लाखों रुपये अतिरिक्त खर्च करने के बाद भी शहर के दुर्गाबाड़ी व बारी रोड से जलजमाव नहीं हटाया जा सका है. पिछले कई दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश के चलते एपी कॉलोनी के कई लिंक सड़क, स्वराजपुरी रोड, कन्या पाठशाला रोड,नादरागंज, गुरुद्वारा रोड, डेल्हा के कई मुहल्लों व नूतन नगर में जलजमाव से लोग परेशान हैं.
कई लोगों के घरों में भी पानी पहुंच गया है. नगर निगम के अधिकारी बरसात से पहले सभी नालों के सफाई कर लिये जाने का दावा कर रहे थे. इसके बाद भी यह स्थिति देख कर साफ हो जाता है कि नालों की सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की गयी है. निगम सूत्रों का कहना है कि निगम पर सफाई खराब होने का आरोप कोई नया नहीं है. हर वर्ष इसी तरह का मामला सामने आता है.
सफाई व्यवस्था पर उठ चुका है सवाल
नगर निगम सशक्त स्थायी समिति की बैठक में छह सदस्यों ने सफाई प्रभारी के कामकाज पर सवाल खड़ा कर दिया था. बैठक में लिखत पत्र देकर सदस्यों ने कहा था कि सफाई प्रभारी के रूप में कामकाज देखनेवाले नगर निगम के कनीय अभियंता शैलेंद्र कुमार सिन्हा किसी की बात नहीं सुनते हैं. कनीय अभियंता के रोस्टर में नीचे पायदान पर रहने के बाद भी इन्हें सहायक अभियंता का प्रभार दिया गया है.
इस कारण शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा गयी है. नियम के विपरीत अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर डी-सिल्टिंग मशीन के सप्लायर को 75 लाख रुपये एडवांस देने की अनुशंसा की. इसके साथ ही सदस्यों ने अन्य कई अरोप लगाये थे.
सिटी मैनेजर को प्रभारी बनाने का प्रस्ताव पारित
बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि प्रथम दृष्टया में जांच में सदस्यों द्वारा सफाई प्रभारी पर लगाये गये आरोप सही पाये गये हैं. प्रस्ताव में कहा गया है कि शैलेंद्र कुमार सिन्हा सहायक अभियंता के प्रभार से मुक्त होकर कनीय अभियंता के रूप में काम करेंगे, सफाई व्यवस्था में कनीय प्रभारी रहेंगे, इनके वरीय प्रभारी सिटी मैनेजर विष्णु प्रभाकर लाल वार्ड एक से 27 तक व सिटी मैनेजर त्रिपुरारी शरण संजय 28 से 53 तक होंगे. सफाई प्रभारी के काम की देखरेख के लिए दिये गये वाहन का उपयोग सिटी मैनेजर करेंगे.
इधर, नगर निगम सूत्रों का कहना है कि बोर्ड व सशक्त स्थायी समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित किये जाते हैं. लेकिन, इसके अनुपालन के लिए आदेश नगर आयुक्त को निकालना होता है. सशक्त स्थायी समिति ने शहर की व्यवस्था सुधारने के लिए अपनी ओर से फैसला ले लिया है. अब गेंद नगर आयुक्त के पाले में है.
कॉलोनियों में घुसने लगा बारिश का पानी
गया रेलवे स्टेशन स्थित सभी कॉलोनियों में बारिश का पानी घुसना शुरू हो गया है. इस कारण रेलवे कर्मचारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के सदस्यों ने रेलवे अधिकारियों को मौखिक रूप से शिकायत कर कॉलोनियों में जलजमाव से निजात दिलाने की मांग की है.
उन्होंने कहा कि अगर कॉलोनियों से पानी नहीं निकाला गया तो भूख हड़ताल की जायेगी. गौरतलब है कि बरसात के दिनों में अक्सर इस कॉलोनी में रहनेवाले लोगों को इस परेशानी का सामना करना पड़ता. ऐसे हालात में लोगों की काफी दुर्गति होती है. इसके अलावा पानी में जमी गंदगी कई बीमारियों का कारण बनती है.
लोग पूछ रहे, कब मिलेगी इससे निजात
शहर एक बार फिर शुक्रवार को बारिश के पानी में डूब गया है. शहर के लोग जलजमाव से काफी परेशान हैं. गया रेलवे स्टेशन स्थित लोको कॉलोनी, रेलवे कॉलोनी, खरखुरा कॉलोनी सहित अन्य कॉलोनियां बारिश के पानी के डूब गयी हैं. रेलवे कॉलोनियों में रहनेवाले कर्मचारियों ने रेलवे अधिकारियों से गुहार लगायी है कि जल्द से जल्द जलजमाव से निजात दिलायें.
गया रेलवे स्टेशन स्थित जीआरपी के पास सड़क पर जलजमाव से रेलयात्री काफी परेशान हैं. यह पीड़ा लोग पिछले दो सालों से झेल रहे हैं. गया को ए-वन स्टेशन का दर्जा होने के बावजूद भी रेलयात्रियों को कोई खास सुविधा नहीं मिली है. रेलवे अधिकारियों के उदासीन रवैया के कारण रेलयात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. रेलवे बोर्ड की ओर से करोड़ों रुपये खर्च हो रहेे हैं, लेकिन स्थानीय रेलवे अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही के कारण कोई सुविधा समय सीमा के अंदर नहीं मिल पाती है.
इस कारण गया रेलवे स्टेशन पर आनेवाले यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. एक नंबर गुमटी से लेकर रेलवे वेतन कार्यालय तक सड़क जर्जर है. घटिया सामग्री से सड़क की मरम्मत कर दी जाती है. यही कारण है कि मरम्मत के कुछ ही समय बाद सड़क टूटने लगती है और जलजमाव की स्थिति कायम हो जाती है.

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